सोमवार, 11 मार्च 2013

यूपीएससीच्या नवीन नियमांबाबत

या देशांत शासनाच्या वरिष्ठ पातळीला फक्त इंग्रजी जाणकारच चालतात हा इंग्रजी राजवटीतील गुलामीचा नियम मोडून काढलाच पाहिजे -- सुप्रीम कोर्टात दाद मागून स्थगिती मिळवा --- 
यूपीएससीच्या नवीन नियमांबाबत दिल्ली स्थित काही मित्रांकडून मिळालेले जस्टिफिकेशन असे की प्रादेशिक भाषांचा ऑप्शन देणारा जुना पॅटर्न सुमारे १६ वर्षांपूर्वी आला, त्यानंतर प्रादेशिक भाषा घेऊन उत्तीर्ण होणाऱ्यांची संख्या वाढत जाऊन एके काळी ४० टक्के इतकी पोचली पण नंतर पुन्हा गळती लागून २०११ मधे ९०० पैकी फक्त १०० मुले एवढीच होती, याचा अर्थ की उमेदवारांची देखील इंग्रजीलाच पसंती आहे. मला हे विधान दोन कारणांनी चूक आहेसे वाटते. एक तर त्यांनी उत्तीर्ण होणाऱ्या मुलांकडे न बघता परीक्षेला बसलेल्यांची टक्केवारी जाहीर करावी -- दुसरे म्हणजे पूर्वी इंग्रजीचा पेपर फक्त दहावी लेव्हलचा व पास होण्यापुरताच होता -- त्याचे गुण मोजले जात नव्हते. आता मात्र ३०० पैकी गुण असून ते मोजले जाणार म्हणजे सरळ सरळ इंग्रजी माध्यमाच्या मुलांना भरपूर झुकते माप रहाणार.
असेही कळले की नव्या पॅटर्न मधे हिंदी चालते पण मराठी नाही ही माहिती चुकीची आहे -- हिंदी भाषिकांसाठीही तोच मूर्खपणाचा नियम म्हणजे कमीत कमी २५ मुले आणि ग्रॅज्युएशनचे माध्यम हिंदी हवे वगैरे आहेतच. त्यामुळे हा लढा सर्वच भारतीय भाषांच्या अस्तित्वाचा लढा आहे. या देशांत फक्त इंग्रजी जाणकारच शासनाच्या वरिष्ठ पातळीला चालतात हा इंग्रजी राजवटीतील गुलामीचा नियम मोडून काढलाच पाहिजे. प्रिलिम परीक्षांमधेही इंग्रजीला २५ गुणांसाठी झुकते माप आहे व तेही मोडून काढले पाहिजे.
महाराष्ट्रातील स्पर्धापरीक्षेची तयारी करून घेणाऱ्या केंद्रांना माझे आवाहन आहे की त्यांनी हायकोर्ट व सुप्रीम कोर्टात तत्काळ दाद मागून स्थगिती मिळवावी. यामधे शासनातर्फे चालवली जाणारी जी केंद्रे आहेत त्यांनी तत्काळ पुढाकार घ्यावा. यासाठी विधान सभेच्या अधिवेशनात हा मुद्दा लाऊन धराला जावा. जी परीक्षार्थी इच्छुक मुली-मुले आहेत त्यांनी लोकप्रतिनिधींना आवाहन करावे.



आओ मनायें राजभाषा मरण-दिन -- क्योंकि संघ-लोकसेवा-आयोगने घोषणा कर दी है कि सरकारी ऊँचे पदकी नौकरियाँ -- IAS समेत सारी ग्रुप A की नौकरियाँ पानेके लिये केवल और केवल अंग्रेजी का विकल्प होगा -- अन्य किसीभी राजभाषाका नही -- न हिंदी, न मराठी, न कन्नड, न गुजराती, न बंगाली -- किसीकी नही। प्रेरणा स्रोत --याद है, जब अंग्रेजोंने ICS (इंडियन सिविल सर्विस) बनाई तब उसमें काले-नेटिवोंको प्रवेश नही था? बाद में जबप्रवेश दिया तो केवल अंग्रेजी परीक्षा ब्रिटेनमें पास होनेपर। और देखो कि अंग्रेजी राजमें देश ने कितनी तरक्की की। आज भी यदि इंडियाको तरक्की करना है तो देशी भाषाओंको समाप्त करना होगा। यदि देशी-भाषाई लोग ऊँचे पदोंपर आयेंगे तो भाषा-संस्कृति-साहित्य-कला-हजारों वर्ष पुरातन भारतीय विकास और विज्ञानकी बातें करेंगे और अंग्रेजी-भाषा-विस्तार में रोडे बनेंगे। इसीसे पिछले 10-15 वर्षोंकी "गलती" को सुधारकर अब संघ-लोक-सेवा-आयोग दृढ-प्रतिज्ञ है कि आगेसे प्रादेशिक भाषाओंको अछूत करार देंगे ताकि केवल अंग्रेजी इस देशके राजकाजकी एकमात्र भाषा रहे।
तो दोस्तों प्रस्तावना हो चुकी राजभाषाओंको राजकाजसे हटानेकी--देश अग्रेसर है राजभाषाओंकी बेडीसे मुक्त होनेकी राहपर। बस एक उत्सव चाहिये राजभाषा मरण दिवस का। आओ मनाते हैं।



  • Meena Trivedi ओह्ह
  • Vijay Tulshibagwale Nothing wrong with it.
  • Raja Gadling · 4 mutual friends
    महाशिवरात्रीच्या हार्दिक शुभेच्छा ॥...!! ॐ नमः शिवाय !!
  • Mahesh Wagh atishay chukicha nirnay. rajya bhashetun pariksha denaryanchi ghor nirasha. yachyapeksha rajyabhasha va english doghanna saman mahatva pahije. gramin bhagatil mulancha civil service madhil takka ajhun kami hoil.
    Sunday at 1:34pm via mobile · Edited · Like · 1
  • लीना मेहेंदळे Mahesh Wagh ग्रामीण प्रादेशिक भाषा के बच्चे न आ पायें यही तो साजिश है -- कारस्थान और षडयंत्र है।
  • Manisha Belge १९९७ में मैंने upsc की तयारी की थी ,तब मैंने राज्यशास्र और मराठी भाषा चुनी थी और मैं पेपर की लिखनेकी भाषा भी मराठी थी | क्योंकि मैं मराठी मेरी मातृभाषा होने कारण ज्यादा अच्छा लिख सकती थी | अब ये ऐसा घटिया निर्णय लेनेका सरकार कारण क्या बता रही है?
  • Manisha Belge राजभाषाये कभी नहीं मरेगी हमे उसे जिन्दा रखना होगा |हमें संघर्ष करना होगा |लीनाजी आप की क्या राय है ?हमें क्या करना चाहिए ?
  • Ravi Tikate · Friends with Gajanan Sable
    Nothing wrong in this.
  • Sagar Kulkarni · Friends with Tejas Pathak and 2 others
    The person writing the paper in his own language, he can express his thoughts perfectly....... Dhikkar aso sarkarcha.... in 1879 max age of the ICS (service) is 19 years....so...the Indian cant go for the exam in london.
  • Sanjay Barve जब हमारी देश का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपती बोलते समय हर वक्त अंग्रेजी इस्तेमाल करता हो तो 

    होना तो ये ही है.
  • Sanjay Barve Leena Mehendale आपके इस पोस्ट को Like करने को डर लगता है, के कही ये सच न हो जाऐ.
    Sunday at 8:13pm · Edited · Like · 1
  • Kedar Kulkarni · 3 mutual friends
    Though 22 scheduled languages in India have been constitutionally recognized, it's unfortunate that such languages (excluding Hindi) have been given such downgraded treatment in the latest UPSC civil service exam pattern. But I welcome the step of scrapping the compulsory mother tongue subject. What is disappointing is the fact that the limit of minimum 25 students for regional language, compulsory graduation required from that language as a medium to give UPSC civil service exams in regional language and to be eligible to opt for that subject as a optional etc. are improper & violates the fundamental right of a citizen. I wish these rules be scrapped completely and thereby restore equality between all languages which is a factor germane to our constitution.


बुधवार, 6 मार्च 2013

बालसुलभ हिंदी -- की बोर्ड

बालसुलभ हिंदी -- की बोर्ड, ગુજરાતી and some more

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मंगलवार, 5 मार्च 2013

खटीमा स्थित बाल कल्याण एंव बाल साहित्य शोध संस्थान न्यास

मेल दि. Sat, Feb 16, 2013 at 9:50 AM
महिला बा सा- 2013   jo aaye
-------------------------------------
1.डा.बानो सरताज काजी,=
सरताज हाउस,आकाश्वाणी के सामने,
सिविल ला इन्स,चन्द्र पुर-४४२४०१(महा)
०९४२३४१८४९७

2. डा.महाश्वेता चतुर्वेदी,=
२४,आंचल कालोनी,श्यामगंज,
बरेली-२४३००५(उ.प्र.)
मो-९४११००७०५०,९७१९६८७१६६

3. डा.प्रभा पंत,=
विभागाध्यक्ष,हिन्दी विभाग,
राज.एम.बी.पीजी कालेज,
हल्द्वानी (नैनीताल)
९४१११९६८६८


4.लीना मेहेंदले,= justice high court
 एफ-३०,हैदराबाद स्टेट,प्रियदर्शनी पार्क के सामने,
 एक्वेन रोड-४०००१६
०९४४९०८२२९०
ईमेळ्- leena.mehendale@gmail.com


5.स्नेह लता,
१/३०९,विकास नगर,लखनऊ(उ.प्र)
 M0.  ९४५०६३९९७६
ईमैल-

 6.डा.बीना बुदकी,=
एस.जी.इम्प्रेशन,ए-१०२,सैक्टर-४-बी,
मेवाड़ कालेज के पास,वसुन्धरा,
गाजियाबाद-२०१०१२
मो-०९९५३३९०४८८
email- beenaadeepakbudki@gmail.com


 7.डा.जुबैदा एच मुल्ला,=
निवास नं.-१५२,ताज नगर,
हुबली-५८००३१
फोन- ०८३६२२७११३८,
मो- ०९८४५२३१८१६
Email- azad1531@rediffmail.com



8.श्री मती सुरिन्दर कौर,   09988355750
२०, आर्मी एन्क्लेव,नियर वडाला चौक,
जलन्धर-१४४०१४
 Sat, Feb 16, 2013 at 9:48 AM

प्रेस विज्ञप्ति
              बाल कल्याण एंव बाल साहित्य शोध संस्थान न्यास खटीमा तथा
एस.एम.एस.नोजगे
 पब्लिक स्कूल  के संयुक्त तत्वावधान में 09 फरवरी,13 को आयोजित, अपने
स.मान सिंह दत्ता
स्मृति सेमिनार - तृतीय इण्डो-नेपाल महिला बाल साहित्यकार सम्मेलन एंव
सम्मान समारोह-
2013 विषय-"बाल साहित्य के परिप्रेक्ष्य में महिला बाल साहि.की
भूमिका,दशा और दिशा"
का संचालन प्रारम्भ करते हुए न्यास के सीईओ डा.राज सक्सेना ने क्षेत्र
में बालसाहित्यिक गति
विधियों की शून्यताके प्रति अपने दायित्वबोध से खटीमा में प्रारम्भ किए
गए विश्व के प्रथम प्रयास
की तृतीयपुनरावृति को इनशब्दों में प्रस्तुतकिया- सूर्य अस्तांचल चला
पूछा धरा ने ये सवाल, इस
 अंधेरे में रखेगा कौन अब मेरा ख्याल,चुप हैं सब यह देख नन्हे दीप ने उठ कर कहा,
मैं अंधेरे से लड़ूंगा ले के ये नन्ही मशाल | उदघाटन सत्र का औपचारिक
उदघाटन मा.पुष्कर
सिंह धामी विधायक(सत्राध्यक्ष) के साथ मुख्य अतिथि प्रज्ञा
संस्थान(राष्ट्रीय साहित्य अका-
दमी नेपाल के बालसाहित्य प्रभारी) सदस्य डा.(प्रो)महादेवअवस्थी
प्रतिउपकुलपति ने विशिष्ट -
अतिथियों के साथ मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्र्ज्ज्वलित करके
किया | नोजगे
की कन्याओं द्वारा स्वागतगानोपरान्त संस्था के संरक्षक सुदर्शन वर्मा ने
समस्त अतिथियों -
का औपचारिक स्वागत किया | मुख्य अतिथि के साथ नेपाली प्रतिनिधित्व वीर बहादुर चंद
राजेन्द्र रावल तथा हरीश प्रसाद जोशी ने किया | अतिथियों ने इस सम्मेलन की अभिनव
सोच की सराहना करते हुए कार्यक्रम की सफलता की कामना की | तदोपरान्त रावेन्द्र
कुमार रवि के संचालन में नोजगे और रा. इ.का.चारूबेटा के दस बच्चों ने स्वरचित -
कविताओं का पाठ कर अतिथियों का मन जीत लिया | सत्र के अंत में श्री आरिज अल्वी ने
अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए समापन की घोषणा की |
       द्वितीय मुख्य चर्चा सत्र की अध्यक्षा डा.बीना बुदकी
(जम्मू-कश्मीर)तथा मुख्य
अतिथि जस्टिस लीना मेंहदले(सदस्य जज,सीएटी)मुम्बई थीं | विशिष्ट अतिथि के रूप में
मंच पर नोजगे की चेयरपर्सन,सुरेन्द्रकौर थीं जिन्होंने समस्त अतिथियों का औपचारिक
स्वागत किया मंचासीन अन्य वि.अतिथि
आभाकुलश्रेष्ठ(राज),सुरिन्दरकौर(पंजाब),डा.पुष्पा
पाल(दिल्ली),डा.बानो सरताज काजी(महा) और मुख्यवक्ता के रूप में उत्तराखण्ड से डा.
प्रभा पन्त,डा.महाश्वेता चतुर्वेदी(उ.प्र.),डा.जुबेदा हाशिम
मुल्ला(कर्नाटक),डा.सुनीति-
रावत(हरियाणा) और स्नेहलता लखनऊ मंचासीन थीं | नेपाल का प्रतिनिधित्व मीनापंत,
नारा जोशी,चंद्रकला पंत, निर्मलाभाट और पुष्पा जोशी ने किया | परिचर्चा
विषय पर मुख्यवक्ता
डा.प्रभा पंत विभागाध्यक्ष हिन्दी रा.पीजी कालेज हल्द्वानी ने विस्तार से
विषय प्रवेश करते
हुए महिला और पुरूष बा.साहित्यकार को नमक और चीनी का उदाहरण देते हुए बालक के
समुचित और समग्र विकास के लिए आवश्यक बताया |उन्होंने महिला बाल सा.की भूमिका
तथा सामाजिक कठिना इयों के रूप में उनकी दशा और दिशा का भी विवेचन प्रस्तुत किया |
मीरगंज बरेली के पीजी कालेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डा.महाश्वेता
चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि
मां ही बच्चे की प्रथम गुरू होती है |नारी  दो रूप प्रथम सृष्टि रूप और
द्वितीय अदिति रूप
का प्रयोग करके बच्चे को समग्रता प्रदान करती है |परिवार का श्रेष्ट
वातावरण भी बच्चों को
संस्कारित और परिष्कृत करता है |कर्नाटक-हुबली से पधारीं पूर्व प्राचार्य
पीजी कालेज डा.
जुबैदा हाशिम मुल्ला ने कहा कि बच्चों के दादा-दादी,माता-पिता,नाना-नानी
चाहे साहित्य-
कार न रहे हों फिर सुनी सुनाई लोरी और प्रचलित बाल कहानियों-कविताओं के माध्यम से
वे बच्चों के ज्ञान और संस्कारों की अभिवृद्धि करते रहे हैं |उत्तराखण्ड
के महिला आयोग की
अध्यक्षा मा. सुशीला बलूनी ने गिरते मानव मूल्यों और संस्कार के तीव्रता
से क्षय पर -
चिन्ता प्रकट करते हुए उनके तीव्रता से उन्नयन की वांछना की |नेपाल का
प्रतिनिधित्व
करते हुए सुप्रसिद्ध शिक्षाविद्-साहित्यकार चन्द्रकला पंत ने शिक्षा
पुस्तकों से अच्छे पाठ्य-
क्रम की कमी को सामने रखते हुए शिक्षित मां की आवश्यकता और अनिवार्यता को श्रेष्ट-
समाज का मूल बताया |गुड़गांव हरियाणा से पधारीं डा.सुनीति रावत जो
सम्पादन के क्षेत्र
में  श्रेष्ट महिला व्यक्तित्व के रूप में उभरीं हैं ने सूर दास के पदों
के माध्यम से हिन्दी -
बाल साहित्य की श्रेष्ठता सिद्ध करते हुए बाल रूचि और मनोविंज्ञान के
अनुरूप बाल साहि.
सृजन को उपयुक्त बताया |नार्दन रेलवे में लेखाधिकारी स्नेहलता ने बाल
साहित्य की चंहु-
मुखी विवेचना की |पंजाब-जलन्धर से पधारी बीबी सुरिन्दर कौर ने गुरू नानक देव जी के
शब्दों को उद्धध्त करते हुए विषय की विस्तृत विवेचना की |
                   सत्र का संचालत अत्यन्त आकर्षक रूप से डा.सुनीता
चुफाल रतूड़ी एम.
 एस.महिला चिकित्साधिकारी ने करके वाहवाही बटोरी |
तृतीय सम्मान समारोह सत्र में-बाल कल्याण संस्थान और नोजगे पब्लिक स्कूल
के संयुक्त
तत्वाधान में सुप्रसिद्ध शिक्षाविद पूर्व उपशिक्षा निदेशक श्री एल.डी.भट्
को श्रेष्ट नागरिक -
शिरोमणी सम्मान से सम्मानित किया गया |
डा.बानो सरताज को ग्यारह हजार नकद धनराशि के साथ-स.मान सिंह दत्ता नोजगे
श्रेष्ट बाल
 साहित्य शिरोमणी सम्मान-2013,
न्यायमूर्ति लीना मेहेंदले को -स.मान सिंह दत्ता नोजगे बाल साहित्य
शिरोमणी सम्मान-2013
 और स.मान सिंह दत्ता नोजगे श्रेष्ट बाल साहित्य रत्न सम्मान-2013-अन्य चयनित
              डा.बीना बुदकी,डा.प्रभा पन्त, डा.महाश्वेता-चतुर्वेदी,
डा.जुबैदा हाशिम मुल्ला, स्नेहलता,सुरिन्दर जीत कौर,डा.सुनीति रावत, आभा
कुल्श्रेष्ट  |
सुश्री मीना पन्त,  नारा जोशी चन्द्रकला पन्त,निर्मला भाट,पुष्पा जोशी नेपाल
 को प्रदान किए गए | इसके अतिरिक्त नेपाल से पधारे प्रतिउपकुलपति प्रो.डा.महादेव -
अवस्थी,महाकाली साहित्यसंगम के अध्यक्ष वीर बहादुर चन्द,महामन्त्री-हरिप्रसाद जोशी,
सदस्य-लक्ष्मीदत्त भट्ट और सुप्रसिद्ध नेपाली इतिहासकार राजेन्द्र रावल
,भारतीय़ प्रतिनिधि-
चमनलाल सप्रू और डा.हरिसिंह पाल को शाल और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया |
नोजगे के प्रधानाचार्य सर्वेश कुमार शर्मा ने अतिथियो का आभार और सत्र समाप्ति की
घोषणा की |
         अंत में सुरिन्दर जीत कौर की अध्यक्षता और डा.बानो सरताज के मुख्यआतिथ्य
में आयोजित कविसम्मेलन में समस्त कवित्रियों ने अपनी हृदयग्राही कविताओं से समस्त -
श्रोताओं का मन मोह लिया | संचालन डा.प्रभा पंत ने किया |
       अगले दिन १० फरवरी को नेपाल के सुदूर पश्चिमांचल के सीमावर्ती शहर
महेन्द्र -
नगर में महाकाली साहित्य संगम के तत्वावधान में भारत-नेपाल साहित्य सम्मिलन का
आयोजन किया गया तथा उपरोक्त समस्त बाल साहित्यकारों तथा नोजगे की चेयर पर्सन श्री
मती सुरेन्द्र कौर,डा.सुनीता चुफाल रतूड़ी,डा.लता जोशी और अंजू भट्ट के
साथ डा.हरिसिंह
पाल और चमन लाल सप्रू को सम्मानित किया गया |
                                           महेश पोखरिया,पत्रकार-खटीमा-262308



Sun, Jan 6, 2013 at 12:28 PM
subject: aupcharik aamantran



आदरणीय 
          बाल कल्याण एंव बाल साहित्य शोध संस्थान न्यास खटीमा
                   अपने स.मान सिंह दत्ता स्मृति सेमिनार 
तृतीय इण्डो-नेपाल महिला बाल साहित्यकार सम्मेलन एंव सम्मान समारोह-2013
 विषय-"बाल साहित्य के परिप्रेक्ष्य में महिला बाल साहि.की भूमिका,दशा और दिशा"
में सहभागिता हेतु संलग्न कार्यक्रम के अनुसार आपको सादर आमन्त्रित करता है |                
                         -संरक्षकगण-
श्रीमती सुरिन्दरकौर दत्ता,चेयरपर्सन नोजगे,श्री हरीश चन्द्र पाण्डे,चेयर पर्सन,शिक्षा भारती,
डा.सुनीता चुफाल रतूड़ी,स्त्री रोग विशेषज्ञ,श्री जगदीश गोयल एम.डी.फ्लोर मिल,
श्री सुदर्शन वर्मा,प्रधानाचार्य थारू कालेज खटीमा |

के.सी.जोशी,कोषाध्यक्ष      रमेश चौहान,सचिव        डा.राज सक्सेना,सी.ई.ओ.

कार्यक्रम स्थल- एस.एम.एस.नोजगे सीनियर सैकेण्डरी स्कूल खटींमा (ईस्टर के सामने)|


                 -कार्यक्रम-
               -उदघाटन सत्र- दि.09 /02/ 2013       प्रातः 09.30 से 10.30 

               -चर्चा सत्र-          प्रातः 11.00 से 02.00 अप.
अध्यक्षता- डा.बानो सरताज काजी पूर्व प्राचार्य महिला पीजी कालेज चन्द्र पुर(महा)|
मुख्य अतिथि-न्यायमूर्ति लीना मेहेंदले,  केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण, मुंबई 
डा.प्रभा पन्त,विभागाध्यक्ष,एम.बी.पी.जी.कालेज, हल्द्वानी,डा.महाश्वेता-
चतुर्वेदी,विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग,बरेली,डा.बीना बुदकी(जे.के),पूर्व विभागाध्यक्ष-
हिन्दी-दुबई,डा.जुबैदा हाशिम मुल्ला,विभागाध्यक्ष हिन्दी महिला पीजीकालेज हुबली(कर्ना)
विशिष्ट अतिथि- सर्व सुश्री-सुकीर्ति भटनागर(पंजाब),शकुन त्रिवेदी(कलकत्ता),सविता भोई,
संयुक्ता परिच्छा(उडीसा),सावित्री देवी चौरसिया(मप्र),स्नेह लता(उप्र),नीलिमा श्रीवास्तव(उख)
डा.तंकमणिअम्मा-(केरल), तथा अन्य भी |

                      - भोजन सत्र-                      02.05 - 02.30
                    -समापन सत्र-         अप.02.35 से 03.30
विशेष सम्मान-डा.बानो सरताज काजी,श्री एल डी भट्ट(पूर्व उपशिक्षा निदेशक) 
                     -कवि-गोष्टी-          अप.03.35 से  05.30
---------------------------------------------------------------------------------------
Thu, Feb 14, 2013 at 8:10 AM

विषय-       दिनांक 21 अक्टूबर,2012 को खटीमा नगर में इस संस्थान की ओर से 
             आयोजित "उत्तराखण्ड में बाल साहित्य का इतिहास, दशा और दिशा"
           विषय पर आयोजित (उत्तराखण्ड में प्रथमबार इस क्रम में आयोजित )
           सेमिनार की अध्यक्षता करने की स्वीकृति के सम्बन्ध में |

महोदया,
           बाल साहित्य एवं बाल कल्याण को समर्पित यह संस्थान वर्ष 2005 से 
अखिल भारतीय और इण्डो-नेपाल बाल साहित्यकार सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित -
करता रहा है जिसमे देश के लगभग सभी बड़े बाल साहित्यकार भाग ले चुके हैं | गत 
वर्ष 2011 में इण्डोनेपाल महिला बाल साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन किया गया था|
जिसकी अध्यक्षता डा.सविता मोहन निदेशक भाषा विभाग देहरादून ने की थी तथा सुप्रसिद्ध
बाल साहित्यकार सुश्री नासिरा शर्मा मुख्य अतिथि थीं | देश के चौदह प्रान्तों से पच्चीस 
महिलाबालसाहित्यकारों के साथ पांच नेपाली महिला बाल साहित्यकारों की उपस्थिति रही |
                      दिनांक 21 अक्टूबर, 2012 को आयोजित इस सेमिनार में मुख्य अतिथि
के रूप में डा.डी.एस.पोखरिया डीन/प्रभारी, कु.वि.वि.अल्मोड़ा परिसर,डा. प्रभा पन्त
विभागाध्यक्ष हिन्दी राज.पी.जी.कालेज,हल्द्वानी तथा रमेश चन्द्र पन्त( बालसाहित्यकार )
मुख्यवक्ता,तथा पूर्व विभागाध्यक्ष हिन्दी एवं सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार हरियाणा डा.राम -
निवास मानव तथा अन्य बीस बाल साहित्य में दखल रखने वाले प्रोफेसर तथा कु./गढ.
के बाल साहित्यकार होंगे | पद्मश्री यशोधर मठपाल के भी भाग लेने की पूर्ण सम्भावना 
है | 
                       अतः आपसे सानुरोध निवेदन है कि आप उक्त सेमिनार के मुख्य अंश परि-
चर्चा सत्र की अध्यक्षता करने का कष्ट करें तथा अपनी सहमति लौटती डाक से प्रेषित करने
का कष्ट करें |
          आदर सहित |
                                                             भवन्निष्ठ,