एक गहन सोच --
दुआ तो यही है कि आपको कमसे कम वस्तुएँ ही अमेझॉनसे खरीदनी
पडें। लेकिन अब अमेझॉनका दावा है कि यदि आप वहाँसे कुछ खरीदते हैं
तो आपके कुल व्ययका एक छोटा हिस्सा किसी सामाजिक संस्थाको
दिया जायगा। वे ये भी दावा करते हैं कि उनकी दी गई लम्बी सूची में से
आप अपनी मनचाही संस्था चुन सकते हैं -- हालाँकि इस बात को शायद
ही कोई जाँच सकेगा कि वाकई में आपके पैसेसे निकलनेवाला हिस्सा
आपहीकी मनचाही संस्थाको वाकई दिया जा रहा है। बहरहाल, उनकी
भारतके लिये बनी लम्बी सूचीमें प्रायः ख्रिश्चन मिशनरियाँ ही हैं, और
कुछेक अन्य सामाजिक संस्था। तो देख लें कि आपका उत्तरदायित्व कहाँ
क्या बन रहा है।
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