सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

District-wise Hindu Population in Pakistan 1998


District-wise Hindu Population in Pakistan
(Figures available  1998 Census)
Persons Total Population  2443614
N.W.F.P PROVINCE-7011PUNJAB PROVINCE-116410SINDH PROVINCE-2280842
    DISTRICTPERSONS    DISTRICTPERSONS    DISTRICTPERSONS
01CHITRAL0201ATTOCK19001JACOBABAD50693
02UPPER DIR2202RAWALPINDI43002SHIKARPUR15855
03LOWER DIR2403JHELUM20503LARKANA27321
04SWAT15804CHAKWAL16404SUKKUR29800
05SHANGLA1405SARGODHA14205GHOTKI64817
06BUNER38906BHAKKAR3306KHAIRPUR45452
07MALAKAND14207KHUSHAB16707NAUSHERO FEROZ14458
08KOHISTAN608MIANWALI12108NAWABSHAH30824
09MANSHERA7209FAISALABAD90309DADU34490
10BATGRAM11710JHANG11510HYDERABAD349167
11ABBOTABAD4011TOBA TEK SINGH19811BADIN226423
12HARIPUR3612GUJRANWALA11012THATTA32139
13MARDAN28313HAFIZABAD12613SANGHAR292687
14SWABI10614GUJRAT23814MIRPURKHAS296555
15CHARSADDA10415MANDI BAHAUDDIN30215UMERKOT315395
16PESHAWAR122416SIALKOT357716THARPARKAR369998
17NOWSHERA66617NAROWAL111817KARACHI
18KOHAT79818LAHORE160718      EAST14802
19HANGU15619KASUR211519      WEST 7637
20KARAK1020OKARA67020     SOUTH47003
21BANNU22021SHEIKHUPURA118521   CENTRAL4239
22LAKKI MARWAT822VIHARI34322     MALIR11087
23D.I.KHAN47123SAHIWAL261
24TANK2224PAK PATTAN77
25MULTAN1208
FATA AREA192126LODHRAN50
27KHANEWAL249
28D.G.KHAN340
29RAJANPUR526
30LAYYAH810
31MUZAFFARGARH1115
32BAHAWALPUR22606
33BAHAWALNAGAR1603
34RAHIM YAR KHAN73506
BALUCHISTAN PROVINCE   39146
01QUETTA417511KOHLU17121KHARAN780
02PISHIN4712DERA BUGTI139922LASBELA4504
03KILLA ABDULLAH17113JAFFARABAD652923KECH979
04CHAGAI194114NASIRABAD187524GAWADAR721
05LORALAI46615BOLAN446325PANJGUR457
06BARKHAN11716JHAL MAGSI1198
07KILLA SAIFULLAH317KALAT1657
08ZHOB10118MASTUNG1228
09SIBI287619KHUZDAR2962
10ZIARAT00020AWARAN295


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इनस्क्रिप्ट बाबत सह्याद्री चॅनेलवरील मुलाखतीवर प्रतिक्रिया


इनस्क्रिप्ट बाबत सह्याद्री चॅनेलवरील मुलाखतीवर प्रतिक्रिया

My TV interview on sahyadri -- दिलखुलास मधे

15 ऑक्टो. 2009 8-9 pm  and repeat on 16th at 730-830 morning
My TV interview on sahyadri at 8-9 pm tomoro and repeat on 16th at 730-830 morning. This is on the subject of computers and marathi.


Response from

Sujay Lele, 

Saleel Kulkarni, Thanks for the info. I hope your endeavour for computerisation of the state government records and communication in Unicode Marathi will bear fruits. All the best !!
अजय भागवत पुणे |+९१ ९८९०१ २८९२२ | http://marathishabda.com  I could not watch your interview live. Is this video uploaded on YouTube? Can you please send me the link?

Milind Murugkar  (Phone  9822853046)  Agri-policy Researcher  Nashik

harekrishnaji k harekrishnaji@gmail.com  नमस्कार, मुलाकात पाहिली. छान  झाली. Inscript बद्द्लचा आपला मुद्दा ( आणखी वीस वर्षानी मराठी भाषेसाठी रोमन लिपी) पटला.  -- प्रियदर्शन काळॆ 

GT Panse  Dear Leenatai. We saw you on t.v. It was very informative.  Wish you and your family happy and prosperous Diwali.















शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012

हरिराम द्वारा उठाये ये तकनीकी, तथ्यपरक व चुनौतीपूर्ण प्रश्न 9वें विश्व हिन्दी सम्मेलन

निम्न कुछ तथ्यपरक व चुनौतीपूर्ण प्रश्न 9वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में पधारे विद्वानों से करते हुए इनका उत्तर एवं समाधान मांगा जाना चाहिए...
(1)
हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने के लिए कई वर्षों से आवाज उठती आ रही है, कहा जाता है कि इसमें कई सौ करोड़ का खर्चा आएगा... 
बिजली व पानी की तरह भाषा/राष्ट्रभाषा/राजभाषा भी एक इन्फ्रास्ट्रक्चर (आनुषंगिक सुविधा) होती है.... 
अतः चाहे कितना भी खर्च हो, भारत सरकार को इसकी व्यवस्था के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए।

(2)
-- हिन्दी की तकनीकी रूप से जटिल (Complex) मानी गई है, इसे सरल बनाने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
-- कम्प्यूटरीकरण के बाद से हिन्दी का आम प्रयोग काफी कम होता जा रहा है... 
-- -- हिन्दी का सर्वाधिक प्रयोग डाकघरों (post offices) में होता था, विशेषकर हिन्दी में पते लिखे पत्र की रजिस्ट्री एवं स्पीड पोस्ट की रसीद अधिकांश डाकघरों में हिन्दी में ही दी जाती थी तथा वितरण हेतु सूची आदि हिन्दी में ही बनाई जाती थी, लेकिन जबसे रजिस्ट्री और स्पीड पोस्ट कम्प्यूटरीकृत हो गए, रसीद कम्प्यूटर से दी जाने लगी, तब से लिफाफों पर भले ही पता हिन्दी (या अन्य भाषा) में लिखा हो, अधिकांश डाकघरों में बुकिंग क्लर्क डैटाबेस में अंग्रेजी में लिप्यन्तरण करके ही कम्प्यूटर में एण्ट्री कर पाता है, रसीद अंग्रेजी में ही दी जाने लगी है, डेलिवरी हेतु सूची अंग्रेजी में प्रिंट होती है। 
-- -- अंग्रेजी लिप्यन्तरण के दौरान पता गलत भी हो जाता है और रजिस्टर्ड पत्र या स्पीड पोस्ट के पत्र गंतव्य स्थान तक कभी नहीं पहुँच पाते या काफी विलम्ब से पहुँचते हैं।
-- -- अतः मजबूर होकर लोग लिफाफों पर पता अंग्रेजी में ही लिखने लगे है।
डाकघरों में मूलतः हिन्दी में कम्प्यूटर में डैटा प्रविष्टि के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

(3)
-- -- रेलवे रिजर्वेशन की पर्चियाँ त्रिभाषी रूप में छपी होती हैं, कोई व्यक्ति यदि पर्ची हिन्दी (या अन्य भारतीय भाषा) में भरके देता है, तो भी बुकिंग क्लर्क कम्प्यूटर डैटाबेस में अंग्रेजी में ही एण्ट्री कर पाता है। टिकट भले ही द्विभाषी रूप में मुद्रित मिल जाती है, लेकिन उसमें गाड़ी व स्टेशन आदि का नाम ही हिन्दी में मुद्रित मिलते हैं, जो कि पहले से कम्प्यूटर के डैटा में स्टोर होते हैं, रिजर्वेशन चार्ट में नाम भले ही द्विभाषी मुद्रित मिलता है, लेकिन "नेमट्रांस" नामक सॉफ्टवेयर के माध्यम से लिप्यन्तरित होने के कारण हिन्दी में नाम गलत-सलत छपे होते हैं। मूलतः हिन्दी में भी डैटा एण्ट्री हो, डैटाबेस प्रोग्राम हो,इसके लिए व्यवस्थाएँ क्या की जा रही है?

(4)
-- -- मोबाईल फोन आज लगभग सभी के पास है, सस्ते स्मार्टफोन में भी हिन्दी में एसएमएस/इंटरनेट/ईमेल की सुविधा होती है, लेकिन अधिकांश लोग हिन्दी भाषा के सन्देश भी लेटिन/रोमन लिपि में लिखकर एसएमएस आदि करते हैं। क्योंकि हिन्दी में एण्ट्री कठिन होती है... और फिर हिन्दी में एक वर्ण/स्ट्रोक तीन बाईट का स्थान घेरता है। यदि किसी एक प्लान में अंग्रेजी में 150 अक्षरों के एक सन्देश के 50 पैसे लगते हैं, तो हिन्दी में 150 अक्षरों का एक सन्देश भेजने पर वह 450 बाईट्स का स्थान घेरने के कारण तीन सन्देशों में बँटकर पहुँचता है और तीन गुने पैसे लगते हैं... क्योंकि हिन्दी (अन्य भारतीय भाषा) के सन्देश UTF8 encoding में ही वेब में भण्डारित/प्रसारित होते हैं।

हिन्दी सन्देशों को सस्ता बनाने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

(5)
-- -- अंग्रेजी शब्दकोश में अकारादि क्रम में शब्द ढूँढना आम जनता के लिेए सरल है, हम सभी भी अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश में जल्दी से इच्छित शब्द खोज लेते हैं, 
-- -- लेकिन हमें यदि हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोश में कोई शब्द खोजना हो तो दिमाग को काफी परिश्रम करना पड़ता है और समय ज्यादा लगता है, आम जनता/हिन्दीतर भाषी लोगों को तो काफी तकलीफ होती है। हिन्दी संयुक्ताक्षर/पूर्णाक्षर को पहले मन ही मन वर्णों में विभाजित करना पड़ता है, फिर अकारादि क्रम में सजाकर तलाशना पड़ता है... 
विभिन्न डैटाबेस देवनागरी के विभिन्न sorting order का उपयोग करते हैं।

हिन्दी (देवनागरी) को अकारादि क्रम युनिकोड में मानकीकृत करने तथा सभी के उपयोग के लिए उपलब्ध कराने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

(6) 
-- -- चाहे ऑन लाइन आयकर रिटर्न फार्म भरना हो, चाहे किसी भी वेबसाइट में कोई फार्म ऑनलाइन भरना हो, अधिकांशतः अंग्रेजी में ही भरना पड़ता है...
-- -- Sybase, powerbuilder आदि डैटाबेस अभी तक हिन्दी युनिकोड का समर्थन नहीं दे पाते। MS SQL Server में भी हिन्दी में ऑनलाइन डैटाबेस में काफी समस्याएँ आती हैं... अतः मजबूरन् सभी बड़े संस्थान अपने वित्तीय संसाधन, Accounting, production, marketing, tendering, purchasing आदि के सारे डैटाबेस अंग्रेजी में ही कम्प्यूटरीकृत कर पाते हैं। जो संस्थान पहले हाथ से लिखे हुए हिसाब के खातों में हिन्दी में लिखते थे। किन्तु कम्प्यूटरीकरण होने के बाद से वे अंग्रेजी में ही करने लगे हैं।

हिन्दी (देवनागरी) में भी ऑनलाइन फार्म आदि पेश करने के लिए उपयुक्त डैटाबेस उपलब्ध कराने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

(7)
सन् 2000 से कम्प्यूटर आपरेटिंग सीस्टम्स स्तर पर हिन्दी का समर्थन इन-बिल्ट उपलब्ध हो जाने के बाद आज 12 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक अधिकांश जनता/उपयोक्ता इससे अनभिज्ञ है। आम जनता को जानकारी देने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

(8) 
भारत IT से लगभग 20% आय करता है, देश में हजारों/लाखों IITs या प्राईवेट तकनीकी संस्थान हैं, अनेक कम्प्यूटर शिक्षण संस्थान हैं, अनेक कम्प्टूर संबंधित पाठ्यक्रम प्रचलित हैं, लेकिन किसी भी पाठ्यक्रम में हिन्दी (या अन्य भारतीय भाषा) में कैसे पाठ/डैटा संसाधित किया जाए? ISCII codes, Unicode Indic क्या हैं? हिन्दी का रेण्डरिंग इंजन कैसे कार्य करता है? 16 bit Open Type font और 8 bit TTF font क्या हैं, इनमें हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाएँ कैसे संसाधित होती हैं? ऐसी जानकारी देनेवाला कोई एक भी पाठ किसी भी कम्प्यूटर पाठ्यक्रम के विषय में शामिल नहीं है। ऐसे पाठ्यक्रम के विषय अनिवार्य रूप से हरेक computer courses में शामिल किए जाने चाहिए। हालांकि केन्द्रीय विद्यालयों के लिए CBSE के पाठ्यक्रम में हिन्दी कम्प्यूटर के कुछ पाठ बनाए गए हैं, पर यह सभी स्कूलों/कालेजों/शिक्षण संस्थानों अनिवार्य रूप से लागू होना चाहिए।

इस्की और युनिकोड(इण्डिक) पाठ्यक्रम अनिवार्य करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

(9) 
हिन्दी की परिशोधित मानक वर्तनी के आधार पर समग्र भारतवर्ष में पहली कक्षा की हिन्दी "वर्णमाला" की पुस्तक का संशोधन होना चाहिए। कम्प्यूटरीकरण व डैटाबेस की "वर्णात्मक" अकारादि क्रम विन्यास की जरूरत के अनुसार पहली कक्षा की "वर्णमाला" पुस्तिका में संशोधन किया जाना चाहिए। सभी हिन्दी शिक्षकों के लिए अनिवार्य रूप से तत्संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किए जाने चाहिए। 

इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

(10)

अभी तक हिन्दी की मानक वर्तनी के अनुसार युनिकोड आधारित कोई भी वर्तनी संशोधक प्रोग्राम/सुविधा वाला साफ्टवेयर आम जनता के उपयोग के लिए निःशुल्क डाउनलोड व उपयोग हेतु उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। जिसके कारण हिन्दी में अनेक अशुद्धियाँ के प्रयोग पाए जाते हैं। इसके लिए क्या व्यवस्थाएँ की जा रही हैं?

-- हरिराम

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वास्तव में हिन्दी के प्रति अधिकांश लोगों की श्रद्धा अति निम्नस्तर की है...
इसका कारण राजनैतिक नेताओं के स्वार्थ.है..., लोगों की मानसिकता नहीं है... इत्यादि उत्तर विद्वान बताते हैं, लेकिन कुछ विशेषज्ञों के अनुसार हिन्दी (देवनागरी) की तकनीकी जटिलता ही मुख्य कारण है.







सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

लोक रोमनमधून मराठी का लिहितात पण ती देवनागरी वर्णमालेच्या आधारानेच का लिहावी


टाईपरायटरचे युग असतांना टाइपिंग येणे हे निव्वळ एक कौशल्य होते, ते पोटापाण्यासाठी अर्थार्जनाचे साधन होते पण ज्ञानार्जनाचे नव्हते. मशीनच्या यांत्रिक मर्यादेमुळे टाइपराइटरची कळपाटी (की-बोर्ड) उल्टीपुल्टी होती पण तीच शिकून घेण्याशिवाय गत्यंतर नव्हते. कामचलाऊ टाइपिंग येण्यासाठी सुद्धा किमान महिनाभराची प्रॅक्टिस लागायची आणि ज्यांचे अडलेले नसेल ते त्या वाट्याला जात नसत. या यांत्रिक मर्यादा मराठी व भारतीय लिपींबाबत अधिक होत्या म्हणून मराठी टाईपरायटर शिकणे त्याहून किचकट होते -- एवढे जनरल नॉलेज सर्वांकडे आले.

टाईपरायटरचे काम करू शकणारे पण सोबत इतर असंख्य कामे करू शकणारे संगणक (कम्प्यूटर) नावाचे यंत्र आले आणि त्याने ज्ञानार्जन व द्रुतगति संदेशवाहनाचे रस्ते खुले केले. सुरुवातीपासून (सुमारे 1945) ते 1985 पर्यंत त्यावर फक्त रोमन वर्णमाला लिहिण्याची सोय होती आणि तीदेखील त्याच उलट्या-पुलट्या कळपाटीनुसार। पण आता ते शिकून घेण्यांत कित्येक मोठ्या संधी, प्रेस्टिज व कार्यक्षमता दडलेल्या होत्या आणि ज्यांना ज्यांना संगणक-सोइचे महत्व पटले त्यानी ती कळपाटी शिकून घेतली.

1985-1995 या काळात मराठीचा वावर संगणकावर सुरू झाला तो पण मराठी टाईपरायटरच्या किचकट कळपाटीसारखाच. त्यामुळे ज्यांनी ज्ञान, प्रेस्टिज, कार्यक्षमता इ साठी रोमनचा किचकट की-बोर्ड शिकून घेतला होता त्यांच्याकडे त्याहून किचकट असा मराठीचा की-बोर्ड शिकण्याचे धैर्य नव्हते, त्यातच 1995 मधे इंटरनेटचा वापर सुरू झाला तेंव्हा ते  मराठी इंटरनेटवर चालत नाही ही भलीमोठी  उणीव होतीच. यामुळे संगणकावर मराठी शिकण्याचा विचार मागे पडत राहीला, त्याऐवजी भाषा मराठी पण दृश्य अक्षरे रोमन हा पर्याय --म्हणजे tu kuthe jatos असे लोक लिहू लागले. आणि 2002 मधे एक दिवस त्यांना समजवण्यांत आलं की तुम्ही रोमनमधूनच  लिहा पण दृश्य अक्षरे मराठी  असतील अशी युक्ति तुम्हाला देतो -- म्हणजे तुम्ही tu kuthe jatos लिहा आणि संगणकाच्या पडद्यावर ते तू कुठे जातोस असं दिसेल. हे सर्व कधी नाइलाजाने तर कधी आनंदाने स्वीकारतांना संगणकावर मराठीच, पण किचकट उल्टापुल्टा की-बोर्ड न वापरता विनासायास शिकता येईल असा की-बोर्ड असू शकतो ही कल्पनाच फार लोकांना सुचली नाही -- कधी तिचा शोध घ्यावा असेही सुचले नाही. अशी पद्धत 1991 मधेच अस्तित्वांत आली होती पण देशाचं आणि मराठीच दुर्दैव की ती आहे याचा प्रचारच झाला नाही -- 1998 पासून ती मोफत आणि इंटरनेटवर टिकण्याची सोय झाली तरी प्रचार झाला नाही (कारण मोफत देणारी ऑपरेटिंग सिस्टम लीनक्स ही होती जी भारतात फारशी प्रचलित नव्हती)  आणि 2002 मधे ती विण्डोजवर मोफत आली म्हणजे खूप सुगम झाली  तरी ती आहे या बाबीचा प्रचार फारसा झाला नाही.


म्हणून जे लोक रोमनमधून मराठी लिहितात त्यांना सांगावेसे वाटते की बाबांनो, निरुपाय होता, माहिती नव्हती तेंव्हा रोमनचा आधर घेऊन का होइना मराठी भाषेत लिहित राहीलात -- कौतुक आहे तुमचं. पण आता आपल्या वर्णमालेवर आधारित अत्यंत सोपी व इंटरनेटवर टिकेल अशी पद्धत सुगमतेने उपलब्ध आहे. अगदी मामूली सरावाने ती तुम्हाला जमणार आहे - म्हणून - आतातरी आपली वर्णमाला रोमनच्या तुलनेत हरवू नये यासाठी थोडा विचार करा.
अर्थात शेवटी मला सुमारे 30 वर्षांपूर्वी एका IAS सहका-याचे शब्द आठवतात -- मी मुलांना कॉन्व्हेंटमधे घातले आहे म्हणजे त्यांना मराठी-हिंदी का आली नाही हा प्रश्नच नको -- आम्ही घरात त्यांच्याशी कटाक्षाने इंग्लिशच बोलतो --  त्यांना शिकून अमेरिकेतच जायचे आहे -- प्रगति, श्रीमंती सर्व काही तिथेच आहे -- इथे रहायचय कोणाला आणि कशाला .

अशांचा राग नाही पण आपली भाषा, लिपी आणि अत्यंत वैज्ञानिक अशी आपली वर्णमाला विसरली जाऊ नये, मृत होऊ नये, चिरंतन टिकावी, म्हणूनही मराठी लिहिताना ती देवनागरी  वर्णमालेच्या आधारानेच लिहावी
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