हमारी वर्णमाला
ये हम पहली कक्षामें सीखते हैं
अर्थात् हमारे व्यंजन क ख ग घ आदि और स्वर अ आ इ ई इत्यादि
और उस पहली पढाईपर ही
हमारी अगली पूरी पढाईकी नींव रखी होती है।
लेकिन यह नींव वाकई इस प्रकारसे अदृश्य हो जाती है
कि हमारी स्मृतिसे ही निकल जाता है
कि इतनी महत्वपूर्ण बात हमने सीखी
हम वर्णमालाका महत्व भूल जाते हैं
मैं आपको याद दिलाना चाहती हूँ
कि हमारी यह वर्णमाला
जो हमारे देशकी सारी भाषाओंकी वर्णमाला है
यह अत्यंत युनिक एकमेवाद्वितीय ऐसी वर्णमाला है
इसे ऐसे समझें कि पूरे संसारमें केवल चार वर्णमालाएँ हैं
एक हमारे देशकी जो संस्कृतोद्भव कह सकते हैं
दूसरी चीनी जो चीन जपान कोरियामें चलती है
तीसरी जिसमें रोमन अल्फाबेट्स ए बी सी डी हैं
और चौथी अरेबिक-फारसी समूहकी
इन चारों वर्णमालाओंको देखें
तो केवल अपने देशकी वर्णमाला
जिसे हम भारती भी कह सकते हैं,
केवल यही पूरी तरहसे वैज्ञानिक
और स्वरोच्चारण पर आधारित या स्वरानुक्रमी है।
और यही वर्णमाला कई हजार वर्षोंसे हमारे देशमें चली आ रही है।
इसकी एक विषेशता यह है कि यह अत्यंत वैज्ञानिक
जिसमें ध्वनि का उच्चार और वर्णोंका क्रम मेल खाते हैं
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