भाषा-सेतु प्रकल्पकी रूपरेखा
उद्देश्य -- भारतीय भाषाई ग्रंथोंके आापसी अनुवाद के लिये संगणक-आधारित सौंदर्यपूर्ण एवं गुणात्मक अनुवाद-मंचकी स्थापना
भारतीय भाषाओंमें आपसी आदान-प्रदान तथा अनुवाद अबतक दो तरीकोंसे हो रहा है। पहला है कि कोई प्रतिभाशाली अनुवादकार व्यक्तिगत रूपसे इसे करे। यह पद्धति कई सौ वर्ष पुरानी और सकारत्मक होते हुए भी यह वेगवान नही है, न हो सकती है। तूसरी पद्धति जो संगणक- आधारित है, इसलिये वेगवान हो सकती है, वह केवल कुछेक वर्षोंसे आई है और अभी भी अत्यंत प्रारंभिक अवस्था में है। इसकी सबसे बडी कमजोरी ये है कि अबतक इसका प्रयास करनेवाली सभी संस्थाओंने जिसमें सर्वप्रमुख गूगल कंपनी है, उन सबने संगणककी आज्ञावली (सॉफ्टवेअर), कार्यावली (वर्किंग प्लॅटफॉर्म) और शब्दावली (डिक्शनरी), सारे ही अंगरेजीके माध्यमसे तैयार किये हैं। अंगरेजी भाषामें वाक्यरचना का क्रम भारतीय भाषाओंके क्रमसे नितान्त भिन्न है। भारतीय भाषाओंमें शब्दोंके अर्थ भी संदर्भानुरूप काफी अधिक बदलते हैं। तीसरी विशेषता ये है कि इन भाषाओंमें संस्कृतजन्य शब्दोंकी उपस्थितिके कारण इनका शब्दभांडार विस्तृत भी है और एक ही शब्द विभिन्न भाषाओंमें जसका तस लिया जा सकता है।
जब एक भारतीय भाषासे दूसरी में अनुवाद करनेके लिये अंगरेजी जैसे नितान्त भिन्न माध्यमको अपनाया जाता है तब ये तीनों विशेषताएँ तथा उनसे मिलनेवाली सुविधाएँ खो जाती हैं। फिर वह अनुवाद भौण्डा और हास्यास्पद भी हो जाता है, हालाँकि इस बातको स्वीकार करना होगा कि कुछ न होनेसे तो वह स्थिति बेहतर होती है। लेकिन फिर प्रश्न उठता है कि संगणक-विश्वके सर्वाधिक कार्यकर्ता भारतीय होते हुए भी किसीको एक भारतीय भाषासे दूसरीमें अनुवाद करनेके लिये मंच बनानेकी बात क्यों न सूझी ? तो शायद उत्तरमें ये कहना होगा कि यह सूझ और सुझाव दोनोंही साहित्यकारोंकी ओरसे भी आने चाहिये थे।खैर ।
तो मैंने एक अनुमान लगानेका प्रयास किया कि ऐसा मंच बनानेका खर्चा क्या हो सकता है, समय कितना लगेगा, संगणक-क्षेत्र कितना चाहिये, साथही प्रोग्रामिंग कौशल्य कितना चाहिये और क्या उतना कौशल्य भारतियोंके पास है। सबसे बडा प्रश्न संगणक-क्षेत्रको लेकर था । इन प्रश्नोंके उत्तरमें मेरे संगणक-ज्ञाता बेटेने बताया कि संगणक-क्षेत्रकी चिन्ता छोडो, आजकल अत्यल्प दाममें क्लाउड-स्पेस खरीदा जा सकता है ।प्रोग्रामिंग कौशल्य भी बहुत अधिक नही चाहिये, कोई भी अच्छा सॉफ्टवेअर इंजिनियर, जिसे प्रोग्रामिंगका २-३ वर्षका अनुभव हो, इसे आरामसे बना सकता है। यहाँ तक कि इंजिनियरिंगके अन्तिम वर्षके छात्र भी एक प्रोजेक्टके रूपमें इस कामको ले सकते हैं और यदि दो व्यक्ति टीम बनाकर काम करें तो २ से ३ महीनेमें मंचका मूलभूत ढाँचा तैयार हो जायगा।
कामका बँटवारा तीन प्रकारसे होगा। पहला यह कि मंच बने। दूसरा यह कि उस मंचकी तथा कुल लेखन-संग्रहकी तांत्रिक देखरेख कोई तंत्रज्ञ करता रहे। तीसरा काम कि अच्छे साहित्यिक व अनुवादक इस मंचपर सुझाये गये परिच्छेदोंका अनुवाद करते चलें या अपना-अपना अनुवाद इसपर रखते चलें ताकि संगणकीय प्रणाली उस-उस अनुवाद-विधाको याद रखे और सीखती चले ताकि अगले बार उसीको सुझाव के रूपमें प्रस्तुत किया जा सके। पर इनसे ऊपर जो प्रमुख महत्वका काम है, वह ये कि अच्छे साहित्यकारोंकी एक टीम प्रत्येक अनुवाद को देखकर और परखकर उसकी गुणात्मक ग्राह्यताकी पडताल करे। यह टीम अलग-अलग भाषाओंके लिये अलग-अलग होगी।
काम जैसे जैसे आगे बढेगा, लेखन-संग्रहका आकार बढता चलेगा और देखरेख करनेवाले तंत्रज्ञोंकी संख्या बढानी पडेगी। इसमें एक से दो वर्ष लग सकते हैं, तबतक इस मद्देपर खर्च अधिक नही है।
संगणकके पास अपना एक शब्दभंडार तो होगा ही, और उससे भी अधिक आवश्यक उसकं पास समानार्थी शब्द, उनकी छटाएँ और नादात्मक विवेचन भी रखना पडेगा। इसी तरह वाक्योंके भी प्रकारान्तर संगणकके वाक्य-भंडार में रखने पडेंगे।
इस दिशामें आज गूगल पर जो प्रयास हो रहे हैं उनपर भी एक नजर दौडानी होगी। गूगल ट्रान्सलेशन टूलकिटके इनपुट पन्नेका चित्र यों है --
इसमें ऍड कण्टेण्ट टू इनपुट में हिंदी परिच्छेद जोडा जा सकता है और व्हिच लँग्वेज टू ट्रान्सलेटमें मराठी लिखा जा सकता है। लेकिन आजकी तारीखमें यह अनुवाद कुछ इस प्रकार होता है --
मूल हिंदी परिच्छेद --
श्री मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने दो-तीन सपने देश के सम्मुख रख्खे -- मेक इन इंडिया का, डिजीटल भारत का और स्मार्ट सिटी का। इन तीनों सपनों का आपसी जुडाव मैं इस रुप मे देखती हूँ की, ये तीनों मानो बिजली के पंख के तीन पात हैं, जो एक केंद्र से गती पाते हैं और उसका चक्कर लगाते हैं। वह एक सूत्र जो इन तीनों सपनों को साकार करने मे गती दे सकता है वह है संगणक पर बाल-सुलभ पद्धती से टंकलेखन का कौशल्य।
अनुवादित मराठी --
श्री मोदी देश द पंतप्रधान विष मग ते दोन - तीन स्वप्नांच्या देश द करण्यापूर्वी Rkrke - करा या भारत डिजिटल ऑफ भारत ऑफ आणि स्मार्ट शहर अ या तीन स्वप्नांच्या ऑफ म्युच्युअल विवाह मी द वैशिष्ट्यीकृत जोडा पहा एम या तीन म्हणून विजा द हलकीफुलकी द तीन ड्रॉप कोणत्या एक केंद्र पासून गती शोधा आहेत आणि त्याच्या चक्कर चार्जिंग आहेत. तो एक थ्रेड त्या या तीन स्वप्नांच्या करण्यासाठी लक्षात करण्यासाठी जोडा गती देणे कॅन आहे तो आहे संगणक रोजी केस - प्रवेश पद्धती पासून Tnklekn ऑफ कौशल्य.
इस अनुवादका गुणात्मक मूल्य तो जो है सो है परन्तु चिह्नित शब्दोंसे साफ झलकता है कि अनुवाद व्हाया अंगरेजी हुआ है औऱ उसमें सुघारकी गति बहुत धीमी होगी। हालांकि इसमें ""यू इनव्हाइट युअर फ्रेंड्स फॉर बेटर ट्रान्सलेशन"" का ऑप्शन भी है फिर भी जबतक सुधारोंको अंगरेजी वाक्यविन्यासोंका संदर्भ लेना पड रहा है तबतक सुधारकी गति मंद ही रहेगी और निकट भविष्यमें भारतीय भाषाओंके आपसी अनुवाद के लिये उसका कोई खास उपयोग नही होगा।
अतः आवश्यक है कि इस दिशामें अपने देशमें ही काम आरंभ हो। इसके लिये कौशलम् न्यासके माध्यमसे ऐसा प्रकल्प हाथमें लेनेका इरादा है। आजकी तारीख में बाकी सारी सुविधा-असुविधाका विचार कर यह तय पाया है कि आरंभिक मंच बनानेवाले संगणक इंजिनियर (दो या तीन) पुणेसे ही लेने पडेंगे -- क्योंकि मेरा वास्तव्य वहींंं रहेगा )। उनके यथोचित मानधनकी व्यवस्था कौशलम् न्यासके द्वारा की जायेगी। गूगलकीही भाँति एक मंच बन जानेपर अनुवादका कार्य करनेके लिये कई लोग इसमें जुडें और स्वेच्छासे सहायता करें यह अपेक्षा होगी -- लेकिन अनुवााद सौंदर्यपूर्ण और गुणात्मक हो इसके लिये उस उस भाषाके प्रथितयश साहित्यकारोंकी सहायता लेनी होगी। यह प्रयास भी कौशलम् न्यास की ओरसे किया जायगा।
फिलहाल यह टिप्पणी मैं कई लोगोंतक पहुँचा रही हूँ -- और अनुरोध है कि आप अपना मत शंका सुझाव आदि दें। जो संगणक-इंजिनियर इस कार्यको करनेका सामर्थ्य रखते हैं उनसे अनुरोध है कि आगे आयें औऱ इस राष्ट्रनि्र्माणके काम में अपना योगदान दें।
बुधवार, 15 जून 2016
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1 टिप्पणी:
बहुत बेहतरीन सुझाव। मैं भी इस काम में अपना यथा संभव योगदान देना चाहूँगा।
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