सीखें इनस्क्रिप्ट
अब विश्वभरमें हिन्दी व अन्य सभी भारतीय भाषाओंके लिये युनिकोड फॉन्ट उपलब्ध हो चुके हैं जिन्हैं इनस्क्रिप्ट कुंजीपटल (की-लेआउट) के माध्यम से लिखा जाता है।
इनस्क्रिप्ट की बोर्ड ले आऊट में प्रायः सभी स्वर बाँई अंगुलियों से व प्रायः सभी व्यंजन दहिनी अंगुलियों लिखे जाते हैं। अतएव टायपिंग में अपनेआप एक लय निर्माण होती है जिससे टायपिंग सीखना व करना अत्यंत सरल हो जाता है।
निम्न उल्लेखित 2 वीडियो से आप जान सकते हैं कि इनस्क्रिप्ट सीखना कितना सरल है।
Inscript-part- 1-- मराठी हिन्दी या अन्य कोई भी भारतीय भाषा धपाधप लेखन हेतू 1
Inscript-part- 2-- मराठी हिन्दी धपाधप लेखन हेतू 2
रविवार, 14 सितंबर 2008
शनिवार, 30 अगस्त 2008
सोमवार, 25 अगस्त 2008
हिन्दी भाषा और मैं -- पूरा है
हिन्दी भाषा और मैं
लीना मेहदले, भाप्रसे
हिन्दी भाषा से मेरा लगाव ऐसा ही है जैसा किसी लाड़ली बेटी का अपनी माँ से होता है। लाड़ली बेटी को अपने लाडले होने पर गरुर होता है, वह माँ से मित्रता का नाता भी जोड़ लेती है। माँ की अच्छाइयों को अधिक मननशीलता से परख सखती है और माँ के समर्थन में डट भी जाती है। बस कुछ वैसा ही।
इसका एक कारण यह भी था कि स्कूल में हिन्दी में हमेशा सर्वाधिक अंक पाना और उसका कारण शायद था कविताएँ एंव उदाहरण रटने की धुन। फिर हिन्दी के उत्तर पत्र या निबन्ध स्पर्धा में उनका खुलकर उपयोग करना। जहाँ तक हिन्दी का सवाल था बचपन के पहले दस वर्ष तक मध्य प्रदेश की हिन्दी बोलने सुनने के बाद बिहार की हिन्दी अपने आप में एक अद्भुत परिवर्तन था। साथ ही बिहार की क्षेत्रीय बोलियाँ जैसे मैथिली, भोजपूरी, मगधी और साथ में नेपाली और बंगाली सुनने को मिली। कविताएँ और दोहे रटने की धुन ने ब्रज और अवधी से परिचय कराया और उधर उर्दू गजलों ने उर्दू से। इन सबका ताना-बाना जुड़ता रहा हिन्दी से। कॉलेज के बाद सांसारिक जीवन में नौकरी, तबादले इत्यादी ने भारतभर नचवाया तो इस पट में और भी कई क्षेत्रीय बोलियाँ जुड़ती गई जैसे राजस्थानी, पहाड़ी, मारवाड़ी, हरियाणवी, पंजाबी, गुजराती और ओड़िया। इनका हिन्दी से रिश्ता भी मुझे वैसा ही मालूम पड़ता है जैसे दूध और पानी का, एक दूसरे में घुलमिल जाने वाला। इसके अलावा हिन्दी में एक और मनमोहक छटा लाई है दक्षिण भारतीय लोगों ने। उनकी बोलचाल की हिन्दी में एक गजब की मिठास होती है। भले ही अन्य कोई उसे टूटी-फूटी कहे। उधर असमिया हिन्दी, मुम्बइया हिन्दी, लखनवी अदब वाली हिन्दी, बंगाली हिन्दी, ओडिया हिन्दी, हैदराबादी हिन्दी या निजामी हिन्दी के भी अपने-अपने अनूठे रंग हैं। इन सभी ने मिलकर हिन्दी का पट बिलकुल रंग-बिरंगा इन्द्रधनुषी कर दिया है।
आज भारत की एक अरब की जनसंख्या में करीब चालीस करोड लोग किसी न किसी क्षेत्रीय भाषा का पुट चढ़ाकर हिन्दी बोलते हैं और करीब अस्सी करोड़ लोग हिन्दी को समझ लेते हैं। अर्थात् विश्र्व की अबादी में हर आठ में एक व्यक्ति हिन्दी को समझता है। इतनी सर्वव्यापकता अंग्रेजी, और चीनी भाषाओं को छोड़ और किसी भी भाषा में नहीं है फिर भी हम यूनो (संयुक्त राष्टसंघ) में इस भाषा को अन्तर्राष्टीय मान्यता प्राप्त भाषा बनाने के प्रयत्नों पर जोर नहीं देते, यह एक दुखद बात है।
एक दुखद बात और है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय हिन्दी की मान्यता इतनी अधिक बढ़ गई थी कि देश के दूर-दूर के कोने-कोने में हिन्दी प्रचारिणी सभा या तत्सम कई संस्थाएँ अपना-अपना योगदान हिन्दी के लिये दे रही थीं। लेकिन पिछले पचास वर्षों में यह पूरा प्रयास तेजी से शून्यवत् हुआ है और इसका अपश्रेय दो तरफ जाता है, पहले तो देश के वे राजनेता हैं जिन्होनें अंग्रेजी के मोह में रहते हुए सम्पर्क भाषा के रुप में अंग्रेजी को स्वीकार किया।
जब तक आजादी पाने का जुनून था, हिन्दी को एक प्रतीक के रुप में स्वीकार किया गया था। आजादी के बाद इसे जुनून और प्रतीक के भावनात्मक धरातल से व्यवहार के धरातल तक लाने के लिए जो राजाश्रय आवश्यक था वह मिला नहीं, उलटे अंग्रजी की दुहाई होती रही। यहाँ तक कि आज अपनी देवनागरी लिपी के आँकड़े भी सरकारी कामका.ज में से रदद् किये जा चुके हैं जबकी संविधान में यह प्रावधान था कि पाँच वर्षों के अन्दर-अन्दर इन आंकडों की पुनर्स्थापना के लिये संसद या स्वयं राष्टपती कोई भी उचित दिशा निर्देश करेंगे।
दूसरा बड़ा दोष मैं मानती हूँ हिन्दी साहित्यकारों का। हिन्दी के इतिहास में कहीं भी न तो अन्य भाषाई भारतीयों के हिन्दी योगदान का मूल्यांकन और समादर किया गया, न उनका जिन्होंने हिन्दी के प्रचार कार्य में स्वतंत्रता से पहले हाथ बंटाया, न उनका जिन्होंने अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिन्दी में कुछ लेखन किया। आज भी कई हिन्दी साहित्यकार यह मानकर चलते हैं कि चूँकि उनका लिखा हुआ अधिक पाठकों की निगाह में आने की सम्भावना है अतएव उनका लेखन श्रेष्ठ है। अन्य भाषा में कोई लिखते हों तो कोई होंगे, नगण्य। हम क्यों उनको जानें? यही रवैया देखने को मिला। हिन्दी के कितने लेखक हैं जिन्होंने जानने का प्रयास किया कि कोई बंगाल की महाश्र्वेता या मराठी की दुर्गा बाई भागवत जा गुजराती के गुलाब दास ब्रोकर या तमिल के जानकी रामन क्या लिखते हैं। हाँ, विक्रम सेठ या अरुंधती राय जैसे गैर हिन्दी साहित्यकार अंग्रेजी में लिखते हैं तब हिन्दी साहित्य जगत में अवश्य उसकी चर्चा होती है।
एक जमाना था जब महाराष्ट में आंतर भारती नामक संकल्पना का उदय हुआ। इसके अन्तर्गत मराठी लोगों ने धडल्ले से अन्य भारतीय भाषाएँ सीखनी आरम्भ की। अधिक जोर रहा बंगाली और कन्नड का और उनकी कई रचनाएँ मराठी में अनुवादित हुई। तब तक हिन्दी भाषियों के रवैये के प्रति क्षोभ प्रकट होना शुरु हो गया और देखते-देखते मराठी लोगों ने अपनी कमजोरियों का दोष हिन्दी के सिर मढ़ना आरम्भ किया। अभिभावक दुख मनाने लगे कि उनके पाल्य जब आपस में बातें करते हैं तो हिन्दी में करते हैं, लेकिन थोड़े ही समय में चित्र पलटा और वही अभिभावक धन्यता महसूस करने लगे कि उनके पाल्य आपस में अंग्रेजी में बाते करते हैं। यानी अंग्रजी हो गई परम सखी, भले ही उसके कारण मातृभाषा भूलती हो, और हिन्दी हो गई दुश्मन भले ही लिंग्विस्टिक दृष्टिकोण से वह मराठी के नजदीक हो । यही घटनाक्रम हर राज्य में रहा, चाहे वह तमिलनाडु हो, आन्ध्रप्रदेश हो, बगांल हो, मणिपुर हो।
अब भी यदी हिन्दी भाषा के पक्षधर अन्य भारतीय भाषाओं के सम्मान में नही जुटेंगे तो आने वाले दिनों में अंग्रेजी के मुकाबले सारी भारतीय भाषाओं की हार के लिए वे जिम्मेदार होंगे।
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लीना मेहदले, भाप्रसे
हिन्दी भाषा से मेरा लगाव ऐसा ही है जैसा किसी लाड़ली बेटी का अपनी माँ से होता है। लाड़ली बेटी को अपने लाडले होने पर गरुर होता है, वह माँ से मित्रता का नाता भी जोड़ लेती है। माँ की अच्छाइयों को अधिक मननशीलता से परख सखती है और माँ के समर्थन में डट भी जाती है। बस कुछ वैसा ही।
इसका एक कारण यह भी था कि स्कूल में हिन्दी में हमेशा सर्वाधिक अंक पाना और उसका कारण शायद था कविताएँ एंव उदाहरण रटने की धुन। फिर हिन्दी के उत्तर पत्र या निबन्ध स्पर्धा में उनका खुलकर उपयोग करना। जहाँ तक हिन्दी का सवाल था बचपन के पहले दस वर्ष तक मध्य प्रदेश की हिन्दी बोलने सुनने के बाद बिहार की हिन्दी अपने आप में एक अद्भुत परिवर्तन था। साथ ही बिहार की क्षेत्रीय बोलियाँ जैसे मैथिली, भोजपूरी, मगधी और साथ में नेपाली और बंगाली सुनने को मिली। कविताएँ और दोहे रटने की धुन ने ब्रज और अवधी से परिचय कराया और उधर उर्दू गजलों ने उर्दू से। इन सबका ताना-बाना जुड़ता रहा हिन्दी से। कॉलेज के बाद सांसारिक जीवन में नौकरी, तबादले इत्यादी ने भारतभर नचवाया तो इस पट में और भी कई क्षेत्रीय बोलियाँ जुड़ती गई जैसे राजस्थानी, पहाड़ी, मारवाड़ी, हरियाणवी, पंजाबी, गुजराती और ओड़िया। इनका हिन्दी से रिश्ता भी मुझे वैसा ही मालूम पड़ता है जैसे दूध और पानी का, एक दूसरे में घुलमिल जाने वाला। इसके अलावा हिन्दी में एक और मनमोहक छटा लाई है दक्षिण भारतीय लोगों ने। उनकी बोलचाल की हिन्दी में एक गजब की मिठास होती है। भले ही अन्य कोई उसे टूटी-फूटी कहे। उधर असमिया हिन्दी, मुम्बइया हिन्दी, लखनवी अदब वाली हिन्दी, बंगाली हिन्दी, ओडिया हिन्दी, हैदराबादी हिन्दी या निजामी हिन्दी के भी अपने-अपने अनूठे रंग हैं। इन सभी ने मिलकर हिन्दी का पट बिलकुल रंग-बिरंगा इन्द्रधनुषी कर दिया है।
आज भारत की एक अरब की जनसंख्या में करीब चालीस करोड लोग किसी न किसी क्षेत्रीय भाषा का पुट चढ़ाकर हिन्दी बोलते हैं और करीब अस्सी करोड़ लोग हिन्दी को समझ लेते हैं। अर्थात् विश्र्व की अबादी में हर आठ में एक व्यक्ति हिन्दी को समझता है। इतनी सर्वव्यापकता अंग्रेजी, और चीनी भाषाओं को छोड़ और किसी भी भाषा में नहीं है फिर भी हम यूनो (संयुक्त राष्टसंघ) में इस भाषा को अन्तर्राष्टीय मान्यता प्राप्त भाषा बनाने के प्रयत्नों पर जोर नहीं देते, यह एक दुखद बात है।
एक दुखद बात और है। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय हिन्दी की मान्यता इतनी अधिक बढ़ गई थी कि देश के दूर-दूर के कोने-कोने में हिन्दी प्रचारिणी सभा या तत्सम कई संस्थाएँ अपना-अपना योगदान हिन्दी के लिये दे रही थीं। लेकिन पिछले पचास वर्षों में यह पूरा प्रयास तेजी से शून्यवत् हुआ है और इसका अपश्रेय दो तरफ जाता है, पहले तो देश के वे राजनेता हैं जिन्होनें अंग्रेजी के मोह में रहते हुए सम्पर्क भाषा के रुप में अंग्रेजी को स्वीकार किया।
जब तक आजादी पाने का जुनून था, हिन्दी को एक प्रतीक के रुप में स्वीकार किया गया था। आजादी के बाद इसे जुनून और प्रतीक के भावनात्मक धरातल से व्यवहार के धरातल तक लाने के लिए जो राजाश्रय आवश्यक था वह मिला नहीं, उलटे अंग्रजी की दुहाई होती रही। यहाँ तक कि आज अपनी देवनागरी लिपी के आँकड़े भी सरकारी कामका.ज में से रदद् किये जा चुके हैं जबकी संविधान में यह प्रावधान था कि पाँच वर्षों के अन्दर-अन्दर इन आंकडों की पुनर्स्थापना के लिये संसद या स्वयं राष्टपती कोई भी उचित दिशा निर्देश करेंगे।
दूसरा बड़ा दोष मैं मानती हूँ हिन्दी साहित्यकारों का। हिन्दी के इतिहास में कहीं भी न तो अन्य भाषाई भारतीयों के हिन्दी योगदान का मूल्यांकन और समादर किया गया, न उनका जिन्होंने हिन्दी के प्रचार कार्य में स्वतंत्रता से पहले हाथ बंटाया, न उनका जिन्होंने अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिन्दी में कुछ लेखन किया। आज भी कई हिन्दी साहित्यकार यह मानकर चलते हैं कि चूँकि उनका लिखा हुआ अधिक पाठकों की निगाह में आने की सम्भावना है अतएव उनका लेखन श्रेष्ठ है। अन्य भाषा में कोई लिखते हों तो कोई होंगे, नगण्य। हम क्यों उनको जानें? यही रवैया देखने को मिला। हिन्दी के कितने लेखक हैं जिन्होंने जानने का प्रयास किया कि कोई बंगाल की महाश्र्वेता या मराठी की दुर्गा बाई भागवत जा गुजराती के गुलाब दास ब्रोकर या तमिल के जानकी रामन क्या लिखते हैं। हाँ, विक्रम सेठ या अरुंधती राय जैसे गैर हिन्दी साहित्यकार अंग्रेजी में लिखते हैं तब हिन्दी साहित्य जगत में अवश्य उसकी चर्चा होती है।
एक जमाना था जब महाराष्ट में आंतर भारती नामक संकल्पना का उदय हुआ। इसके अन्तर्गत मराठी लोगों ने धडल्ले से अन्य भारतीय भाषाएँ सीखनी आरम्भ की। अधिक जोर रहा बंगाली और कन्नड का और उनकी कई रचनाएँ मराठी में अनुवादित हुई। तब तक हिन्दी भाषियों के रवैये के प्रति क्षोभ प्रकट होना शुरु हो गया और देखते-देखते मराठी लोगों ने अपनी कमजोरियों का दोष हिन्दी के सिर मढ़ना आरम्भ किया। अभिभावक दुख मनाने लगे कि उनके पाल्य जब आपस में बातें करते हैं तो हिन्दी में करते हैं, लेकिन थोड़े ही समय में चित्र पलटा और वही अभिभावक धन्यता महसूस करने लगे कि उनके पाल्य आपस में अंग्रेजी में बाते करते हैं। यानी अंग्रजी हो गई परम सखी, भले ही उसके कारण मातृभाषा भूलती हो, और हिन्दी हो गई दुश्मन भले ही लिंग्विस्टिक दृष्टिकोण से वह मराठी के नजदीक हो । यही घटनाक्रम हर राज्य में रहा, चाहे वह तमिलनाडु हो, आन्ध्रप्रदेश हो, बगांल हो, मणिपुर हो।
अब भी यदी हिन्दी भाषा के पक्षधर अन्य भारतीय भाषाओं के सम्मान में नही जुटेंगे तो आने वाले दिनों में अंग्रेजी के मुकाबले सारी भारतीय भाषाओं की हार के लिए वे जिम्मेदार होंगे।
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हिंदी बरकरार रखने के लिये संगणक
हिंदी बरकरार रखने के लिये संगणक
published in Nagari Sangam of Nagari Lipi Parishad year 29 vol114 April-June 2007
बिना तंत्रज्ञान विकास के कोई देश, समाज या भाषा आगे नहीं आ सकते। हिंदी बरकरार रखने के लिये भी संगणक का माध्यम अत्यावश्यक है।
सरकारी कार्यालयों में नई पीढ़ी पूर्णतया संगणक प्रशिक्षित है और संगणक सुविधाओं का लाभ भी ले रही है। लेकिन केवल अंग्रेजी के माध्यम से। हिंदी माध्यम से अत्यल्प जुड़ाव है।
कारण यह कि संगणक सुविधाएँ हिंदी में एक प्रतिशत भी विकसित नही हैं।
इसका कारण यह कि हिंदी में संगणक सुविधा का विकास केवल सॉफ्टवेयर तक सामित रहा हैं जब कि पूरे विकास के लिये सॉफ्टवेयर को ऑपरेटिंग सिस्टम (ओ. एस्.) के साथ इंटिग्रेट करना आवश्यक होता है।
हिंदी संगणक विकास करने वालों में में सर्वप्रमुख है सीडैक जो सरकारी संस्था होने के कारण उसे संसाधनों की कोई कमी नहीं हैं।
सीडैक ने कई अच्छे संगणक सॉफ्टवेयर्स विकसित किये हैं लेकिन वे कस्टमर की आकांक्षा पर पचास प्रतिशत से अधिक खरे नहीं उतरते क्योंकि उन्हें ओएस से इंटिग्रेट नहीं किया गया है। और न ही कस्टमर के प्रश्नों का समाधान ढूँढने का प्रयास हुआ है।
सीडॅक या अन्य विकासक के दावे को कबूलते हुए भारी खर्च पर सरकार ने हिंदी के सॉफ्टवेयर खरीद लिये है लेकिन उनकी उपयोगिता परखने का या बढ़ाने का कोई कार्यक्रम सरकार के पास नहीं है।
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published in Nagari Sangam of Nagari Lipi Parishad year 29 vol114 April-June 2007
बिना तंत्रज्ञान विकास के कोई देश, समाज या भाषा आगे नहीं आ सकते। हिंदी बरकरार रखने के लिये भी संगणक का माध्यम अत्यावश्यक है।
सरकारी कार्यालयों में नई पीढ़ी पूर्णतया संगणक प्रशिक्षित है और संगणक सुविधाओं का लाभ भी ले रही है। लेकिन केवल अंग्रेजी के माध्यम से। हिंदी माध्यम से अत्यल्प जुड़ाव है।
कारण यह कि संगणक सुविधाएँ हिंदी में एक प्रतिशत भी विकसित नही हैं।
इसका कारण यह कि हिंदी में संगणक सुविधा का विकास केवल सॉफ्टवेयर तक सामित रहा हैं जब कि पूरे विकास के लिये सॉफ्टवेयर को ऑपरेटिंग सिस्टम (ओ. एस्.) के साथ इंटिग्रेट करना आवश्यक होता है।
हिंदी संगणक विकास करने वालों में में सर्वप्रमुख है सीडैक जो सरकारी संस्था होने के कारण उसे संसाधनों की कोई कमी नहीं हैं।
सीडैक ने कई अच्छे संगणक सॉफ्टवेयर्स विकसित किये हैं लेकिन वे कस्टमर की आकांक्षा पर पचास प्रतिशत से अधिक खरे नहीं उतरते क्योंकि उन्हें ओएस से इंटिग्रेट नहीं किया गया है। और न ही कस्टमर के प्रश्नों का समाधान ढूँढने का प्रयास हुआ है।
सीडॅक या अन्य विकासक के दावे को कबूलते हुए भारी खर्च पर सरकार ने हिंदी के सॉफ्टवेयर खरीद लिये है लेकिन उनकी उपयोगिता परखने का या बढ़ाने का कोई कार्यक्रम सरकार के पास नहीं है।
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पचास साल बाद हिंदी
पचास साल बाद हिंदी
देश को स्वतंत्र हुए पचास वर्ष से अधिक और संविधान लागू हुए पचास वर्ष हो गए हैं। हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया, लेकिन उसे राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के प्रयास नहीं के बराबर हुए। जो हुए भी, वे करीब-करीब विफल हो गए। अब हमारे देश की आबादी सौ करोड़ है। और चीन की आबादी १२० करोड़ । यानी चीन और भारत की मिलाकर आबादी २२० करोड़ है जबकि विश्र्व के बारी सारे देशों की मिली-जुली आबादी ८० करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र संघ में जो छह भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं वे हैं : चीनी, अरबी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, रूसी और स्पानी। यानी विश्र्व की आबादी का छठा हिस्सा होते हुए भी हमारे देश की भाषा संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषाओं में नहीं है।
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जनसत्ता, दिल्ली, ३ फरवरी २०००
देश को स्वतंत्र हुए पचास वर्ष से अधिक और संविधान लागू हुए पचास वर्ष हो गए हैं। हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया, लेकिन उसे राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के प्रयास नहीं के बराबर हुए। जो हुए भी, वे करीब-करीब विफल हो गए। अब हमारे देश की आबादी सौ करोड़ है। और चीन की आबादी १२० करोड़ । यानी चीन और भारत की मिलाकर आबादी २२० करोड़ है जबकि विश्र्व के बारी सारे देशों की मिली-जुली आबादी ८० करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र संघ में जो छह भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं वे हैं : चीनी, अरबी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी, रूसी और स्पानी। यानी विश्र्व की आबादी का छठा हिस्सा होते हुए भी हमारे देश की भाषा संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषाओं में नहीं है।
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जनसत्ता, दिल्ली, ३ फरवरी २०००
हिन्दी में शपथ
हिन्दी में शपथ
दिनांक तेरह अक्तूबर, समय सुबह के साढ़े दस। सभी की आंखें दूरदर्शन पर लगी हुई थीं जिस पर तेरहवीं लोकसभा की मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह का प्रसारण होना था। तेरहवीं लोकसभा के सदस्यों का चुनाव चंद रोज पहले ही संपन्न हुआ था और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिल चुका था। गठबंधन के अंदर भारतीय जनता पार्टी निर्विवाद रूप से लोकसभा के सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई थी। इसी कारण किसी के मन में कोई शंका नहीं थी। सब जान रहे थे कि शायद शपथ ग्रहण समारोह की अधिकतर शपथें हिंदी में ही ली जाएंगी।...
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जनसत्ता, दिल्ली, १९.१०.१९९९
दिनांक तेरह अक्तूबर, समय सुबह के साढ़े दस। सभी की आंखें दूरदर्शन पर लगी हुई थीं जिस पर तेरहवीं लोकसभा की मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह का प्रसारण होना था। तेरहवीं लोकसभा के सदस्यों का चुनाव चंद रोज पहले ही संपन्न हुआ था और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिल चुका था। गठबंधन के अंदर भारतीय जनता पार्टी निर्विवाद रूप से लोकसभा के सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई थी। इसी कारण किसी के मन में कोई शंका नहीं थी। सब जान रहे थे कि शायद शपथ ग्रहण समारोह की अधिकतर शपथें हिंदी में ही ली जाएंगी।...
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जनसत्ता, दिल्ली, १९.१०.१९९९
हिंदीला धोपटणे थांबवा
हिंदीला धोपटणे थांबवा
सालावाद प्रमाणे मराठी साहित्य संमेलन आले आणि सालावाद प्रमाणे माझी भीती या वर्षीही खरी ठरली. ती भीती होती विनाकारण हिंदीला धोपटण्याची - बडवण्याची.
नोकरी निमित्ताने महाराष्ट्रात पहिल्या प्रथम पाऊन टाकले १९७४ मधे. तेव्हा पासून हे धेपटण पहात आले आहे. त्याच बरोबर मराठीचे अवमूल्यन देखील. पण त्याला केंद्र सरकार किंवा हिंदी संस्था जबाबदार नसून मराठी सारस्वत आणि मराठी बाबतये धोरणच जबाबदार आहेत असं माझं मत आहे.
मराठीच काय पण सर्वंच भारतीय भाषांच्या गळेचेपीला खरं कारण काय आहे-तर इंग्रजीचे आपणच वारेमाप स्तोम मोजवले, इंग्रजीमधे आपले प्रविण्य दाचाविले तरच प्रतिष्ठा मिळते ही दुरावस्था त्यातूनच निर्माण झाली. त्या प्रतिष्ठेसाठी आपण सर्वांनीच इंग्रनीची काय धरली. मग मराठी भाषकडे दुर्लक्ष झालं त्याच खापर फोडायला हिंदी बरी सापडली.
पुढे वाचा
अंतर्नाद मासिकाच्या ... अंकांत प्रकाशित
सालावाद प्रमाणे मराठी साहित्य संमेलन आले आणि सालावाद प्रमाणे माझी भीती या वर्षीही खरी ठरली. ती भीती होती विनाकारण हिंदीला धोपटण्याची - बडवण्याची.
नोकरी निमित्ताने महाराष्ट्रात पहिल्या प्रथम पाऊन टाकले १९७४ मधे. तेव्हा पासून हे धेपटण पहात आले आहे. त्याच बरोबर मराठीचे अवमूल्यन देखील. पण त्याला केंद्र सरकार किंवा हिंदी संस्था जबाबदार नसून मराठी सारस्वत आणि मराठी बाबतये धोरणच जबाबदार आहेत असं माझं मत आहे.
मराठीच काय पण सर्वंच भारतीय भाषांच्या गळेचेपीला खरं कारण काय आहे-तर इंग्रजीचे आपणच वारेमाप स्तोम मोजवले, इंग्रजीमधे आपले प्रविण्य दाचाविले तरच प्रतिष्ठा मिळते ही दुरावस्था त्यातूनच निर्माण झाली. त्या प्रतिष्ठेसाठी आपण सर्वांनीच इंग्रनीची काय धरली. मग मराठी भाषकडे दुर्लक्ष झालं त्याच खापर फोडायला हिंदी बरी सापडली.
पुढे वाचा
अंतर्नाद मासिकाच्या ... अंकांत प्रकाशित
knowledge of HINDI world over
knowledge of HINDI world over
LIST OF PEOPLE OF THE WORLD WHO KNOW HINDI BASED ON 1999 CENSUS
No. of Persons know Hindi
SrNo Country.......Population.... %age..... Total Nos
1 Arjantina...............36600000.........1..........366000
2 Behrein...................606000.........3.......... 18180
3 Bangla Desh............126900000........30....... 38070000
4 Bhutan...................2100000........30......... 630000
5 Brajil.................168000000.........1 ........1680000
6 Myanmar.................45100000.........5 ........2255000
7 Colambia................41600000.........1 .........416000
8 Kostarika................3900000.........0.4 ........16600
9 Ecader..................12400000........25 ........3100000
10 Al-Salvdor..............6200000........10 .........620000
11 Fizi.....................806000........50 .........403000
12 Gwatemala..............11100000........50 ........5550000
13 Gayana...................855000........50 .........427500
14 Honduraas...............6300000.........8 ..........50400
15 Indonesia.............209300000.........2 ........4186000
16 Kuwait .................1900000........13 .........247000
17 Malaysia ..............21800000.........7........ 1526000
18 Maritious ..............1200000........69 .........828000
19 Maxico ................97400000.........9........ 8766000
20 Mozambik ..............19300000.........5........ 9650000
21 Nepal .................23400000........80 .......18720000
22 Nikaraguha .............4900000.........3 ..........14700
23 Oman ...................2500000.........2.......... 50000
24 Pakistan .............152300000........80 ......121840000
25 Panama .................2800000.........5 .........140000
26 Pragway ................5400000.........3......... 162000
27 Peru ..................25200000.........7 ........1764000
28 Qatar................... 589000.........5.......... 29450
29 Saudi Arabia ..........20900000.........3 .........627000
30 Saishals................. 78700.........1 ............787
31 Singapore ..............3500000.........4 .........140000
32 Srilanka ..............18600000.........4 .........744000
33 Surinam .................415000........37 .........153550
34 Thailand ..............60900000.........2 .........474000
35 Unit.Arab Emirates .....2400000........50 ........1200000
36 Venezuela .............23700000.........2 .........474000
37 South Yaman ...........17500000........10........ 1750000
38 USA ..................276200000.........4 .......11048000
39 Zambia .................9000000.........1 ..........90000
40 Trinidad............... 1300000........30......... 390000
41 Britain ...............58700000.........5........ 2936000
42 Canada ................30900000.........4........ 1236000
43 India ................916936830........73.31... 672206390
44 Russia+Other ........3377252470.........5.8 ....195357990
Total ..................5848739000........18.9 ...1102996447
collected in 2004 for my trip to Vishva Hindi Sammelan, Surinam.
By.............. Mahendra in PCRA ?????
LIST OF PEOPLE OF THE WORLD WHO KNOW HINDI BASED ON 1999 CENSUS
No. of Persons know Hindi
SrNo Country.......Population.... %age..... Total Nos
1 Arjantina...............36600000.........1..........366000
2 Behrein...................606000.........3.......... 18180
3 Bangla Desh............126900000........30....... 38070000
4 Bhutan...................2100000........30......... 630000
5 Brajil.................168000000.........1 ........1680000
6 Myanmar.................45100000.........5 ........2255000
7 Colambia................41600000.........1 .........416000
8 Kostarika................3900000.........0.4 ........16600
9 Ecader..................12400000........25 ........3100000
10 Al-Salvdor..............6200000........10 .........620000
11 Fizi.....................806000........50 .........403000
12 Gwatemala..............11100000........50 ........5550000
13 Gayana...................855000........50 .........427500
14 Honduraas...............6300000.........8 ..........50400
15 Indonesia.............209300000.........2 ........4186000
16 Kuwait .................1900000........13 .........247000
17 Malaysia ..............21800000.........7........ 1526000
18 Maritious ..............1200000........69 .........828000
19 Maxico ................97400000.........9........ 8766000
20 Mozambik ..............19300000.........5........ 9650000
21 Nepal .................23400000........80 .......18720000
22 Nikaraguha .............4900000.........3 ..........14700
23 Oman ...................2500000.........2.......... 50000
24 Pakistan .............152300000........80 ......121840000
25 Panama .................2800000.........5 .........140000
26 Pragway ................5400000.........3......... 162000
27 Peru ..................25200000.........7 ........1764000
28 Qatar................... 589000.........5.......... 29450
29 Saudi Arabia ..........20900000.........3 .........627000
30 Saishals................. 78700.........1 ............787
31 Singapore ..............3500000.........4 .........140000
32 Srilanka ..............18600000.........4 .........744000
33 Surinam .................415000........37 .........153550
34 Thailand ..............60900000.........2 .........474000
35 Unit.Arab Emirates .....2400000........50 ........1200000
36 Venezuela .............23700000.........2 .........474000
37 South Yaman ...........17500000........10........ 1750000
38 USA ..................276200000.........4 .......11048000
39 Zambia .................9000000.........1 ..........90000
40 Trinidad............... 1300000........30......... 390000
41 Britain ...............58700000.........5........ 2936000
42 Canada ................30900000.........4........ 1236000
43 India ................916936830........73.31... 672206390
44 Russia+Other ........3377252470.........5.8 ....195357990
Total ..................5848739000........18.9 ...1102996447
collected in 2004 for my trip to Vishva Hindi Sammelan, Surinam.
By.............. Mahendra in PCRA ?????
मराठी लेखनाच्या ब्लॉगसाठी - इनस्क्रिप्ट
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- लीना मेहेंदळे, भा.प्र.से.
(साथ ही देखें 2 विडियो भी)
सुमारे नव्वद ते नव्व्याण्णव टक्के मराठी किंवा कोणत्याच भारतीय भाषेतील लेखकांना हे माहीत नाही कि एका युक्ती मुळे मराठी व तत्सम भारतीय भाषांचे टायपिंग शिकायला फक्त अर्धा तास पुरतो. आणि आता ऑफिसेस मध्ये सर्वत्र संगणकांचा बोलबाला झाल्यावर खूप अधिका-यांनी गरजपुरते एका बोटाने करण्याइतपत इंग्रजी टायपिंग शिकून घेतले आहे. पण त्यांना देखील हे माहीत नाही की त्याच संगणकामध्ये अर्ध्या तासांत मराठी टायपिंग शिकण्याची युक्ती देखील आहे. या युक्तीचे नांव इनस्क्रिप्ट की बोर्ड ले आऊट. पुढे वाचा
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वेब 16 वर ठेवले आहे.
- लीना मेहेंदळे, भा.प्र.से.
(साथ ही देखें 2 विडियो भी)
सुमारे नव्वद ते नव्व्याण्णव टक्के मराठी किंवा कोणत्याच भारतीय भाषेतील लेखकांना हे माहीत नाही कि एका युक्ती मुळे मराठी व तत्सम भारतीय भाषांचे टायपिंग शिकायला फक्त अर्धा तास पुरतो. आणि आता ऑफिसेस मध्ये सर्वत्र संगणकांचा बोलबाला झाल्यावर खूप अधिका-यांनी गरजपुरते एका बोटाने करण्याइतपत इंग्रजी टायपिंग शिकून घेतले आहे. पण त्यांना देखील हे माहीत नाही की त्याच संगणकामध्ये अर्ध्या तासांत मराठी टायपिंग शिकण्याची युक्ती देखील आहे. या युक्तीचे नांव इनस्क्रिप्ट की बोर्ड ले आऊट. पुढे वाचा
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माय मराठीत विज्ञान आणि कायदा
माय मराठीत विज्ञान आणि कायदा
दैनिक सकाळ
दिनांक २.६.९६
महाराष्ट्र राज्याची राजभाषा मराठी असूनही नाइलाजाने मराठी ऐवजी इंग्रजीचा वापर करावा लागतो असे म्हणणारी मंडळी मुख्यतः विज्ञान आणि कायदा या दोन विषयांबाबत मराठीला मर्यादा आहेत असे बोलतात. याबाबत माझे अनुभव वेगळे आहेत.
माझे मॅट्रिक पर्यंतचे शिक्षण हिंदी मधे झाले. म्हणजे भाषा म्हणून इंग्रजी उत्तम येत असली तरी शिक्षणाची भाषा हिंदीच होती. कॉलेजात गेल्यावर लक्षात आल की इथून पुढे शिक्षणाची भाषा इंग्रजी असणार. ते साठच दशक चालू होत. नुकतेच चीनी आक्रमणात आपण हरलेलो होतो. देशप्रेम या शब्दाच्या कक्षेत बसणा-या ज्या कांही भावना आणि विचार उचंबळू शकतात त्या सर्व माझ्या मनात येऊन गेल्या. आणि आपण इथून पुढे आपली शिक्षणाची भाषा हिंदीच ठेवायची- त्यासाठी वाटेत तितकी ज्यादा मेहनत करायची असा निश्चय केला.
याला पहिला सुरंग लागला तो आर्थिक प्रश्नाचा. फिजिक्स आणि केमिस्ट्रीची हिंदीतील पाठयपुस्तक विकत आणली पण त्याने समाधान होईना म्हणून इंग्रजी पुस्तक पण विकत आणावी लागली. गणिताच हिंदी भाषिक पुस्तक नव्हतच. पूरक पुस्तकं सगळी इंग्रजीतूनच उपलब्ध.
पुढे वाचा
दैनिक सकाळ
दिनांक २.६.९६
महाराष्ट्र राज्याची राजभाषा मराठी असूनही नाइलाजाने मराठी ऐवजी इंग्रजीचा वापर करावा लागतो असे म्हणणारी मंडळी मुख्यतः विज्ञान आणि कायदा या दोन विषयांबाबत मराठीला मर्यादा आहेत असे बोलतात. याबाबत माझे अनुभव वेगळे आहेत.
माझे मॅट्रिक पर्यंतचे शिक्षण हिंदी मधे झाले. म्हणजे भाषा म्हणून इंग्रजी उत्तम येत असली तरी शिक्षणाची भाषा हिंदीच होती. कॉलेजात गेल्यावर लक्षात आल की इथून पुढे शिक्षणाची भाषा इंग्रजी असणार. ते साठच दशक चालू होत. नुकतेच चीनी आक्रमणात आपण हरलेलो होतो. देशप्रेम या शब्दाच्या कक्षेत बसणा-या ज्या कांही भावना आणि विचार उचंबळू शकतात त्या सर्व माझ्या मनात येऊन गेल्या. आणि आपण इथून पुढे आपली शिक्षणाची भाषा हिंदीच ठेवायची- त्यासाठी वाटेत तितकी ज्यादा मेहनत करायची असा निश्चय केला.
याला पहिला सुरंग लागला तो आर्थिक प्रश्नाचा. फिजिक्स आणि केमिस्ट्रीची हिंदीतील पाठयपुस्तक विकत आणली पण त्याने समाधान होईना म्हणून इंग्रजी पुस्तक पण विकत आणावी लागली. गणिताच हिंदी भाषिक पुस्तक नव्हतच. पूरक पुस्तकं सगळी इंग्रजीतूनच उपलब्ध.
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रविवार, 24 अगस्त 2008
इनस्क्रिप्ट - देखें २ विडियो + की बोर्ड अभ्यासके पाठ
इनस्क्रिप्ट
Most Indian authors do not know a simple trick to learn the typing of all Indian Languages -- Learn in less than half an hour. Learn the INSCRIPT way all in 1 go. This is a key board layout totally user-friendly. No need to go thru typing classes.
इस विषय पर 2 विडियो देखें --
भाग 1
भाग 2
इनस्क्रिप्ट की बोर्ड अभ्यास 1
क,त,च,ट, ा ी ू
काका, काकी, काकू, कागा, खग,
चाचा, चाची, चाचू, जीजा, जीजी, जीजू, जात, चीज, झीज, काज, छाछ, झाग,
ताई, ताऊ, दाग, ताक, थका, थकी, खत,
टाक, डाक, ठीकठाक, तट, ताट, थाट, खाट, जाट, झूठ,
काकू, चाचू, जीजू, थूक, दूजा, चूजा,
इनस्क्रिप्ट की बोर्ड अभ्यास 2
प,र,ह,य, ि ु
बाबा, पापा, पर, पार, फार, बार, भार, बारबार, भरभराकर, गरगर, घरघर, भरभर, चराचर, गागर, टरटर, डरकर, खटपट, झटपट,
पहिया, बढिया, खटिया, तकिया, दया, दिया, पराया, किराया, गिराया,
टिकटिकी, बबीता, पपीता, बाजी, भाजी, फिदा,
हाक, हात, हाच, हाट, हाफ, हज, हाजी, हाड,
दुख, दुपहर, कबूतर, तरबूज, खरबूज, दुखिया, दुखभरी, हरीभरी,
Most Indian authors do not know a simple trick to learn the typing of all Indian Languages -- Learn in less than half an hour. Learn the INSCRIPT way all in 1 go. This is a key board layout totally user-friendly. No need to go thru typing classes.
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भाग 1
भाग 2
इनस्क्रिप्ट की बोर्ड अभ्यास 1
क,त,च,ट, ा ी ू
काका, काकी, काकू, कागा, खग,
चाचा, चाची, चाचू, जीजा, जीजी, जीजू, जात, चीज, झीज, काज, छाछ, झाग,
ताई, ताऊ, दाग, ताक, थका, थकी, खत,
टाक, डाक, ठीकठाक, तट, ताट, थाट, खाट, जाट, झूठ,
काकू, चाचू, जीजू, थूक, दूजा, चूजा,
इनस्क्रिप्ट की बोर्ड अभ्यास 2
प,र,ह,य, ि ु
बाबा, पापा, पर, पार, फार, बार, भार, बारबार, भरभराकर, गरगर, घरघर, भरभर, चराचर, गागर, टरटर, डरकर, खटपट, झटपट,
पहिया, बढिया, खटिया, तकिया, दया, दिया, पराया, किराया, गिराया,
टिकटिकी, बबीता, पपीता, बाजी, भाजी, फिदा,
हाक, हात, हाच, हाट, हाफ, हज, हाजी, हाड,
दुख, दुपहर, कबूतर, तरबूज, खरबूज, दुखिया, दुखभरी, हरीभरी,
अनुक्रम इस ब्लॉगका
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उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा नहीं है
भारतीय वर्णमाला, भाषा, राष्ट्र आणि संगणक - जडणघडण मा. ---- अंक
भगवद्गीता गायनम् अध्याय ११ LM GEETA 11
भगवद्गीता गायनम् अध्याय १२ LM GEETA 12
वर्णमाला, भाषा, राष्ट्र और संगणक -- गर्भनाल -- दि ०१-१०-२०१७
हिंदी-राग – अलगावका या एकात्मताका गर्भनाल सप्टेंबर २०१७
दोन हुकलेल्या पद्मश्री सन्मानांची कथा
2006 -- Releasing OpenOffice.org 2.0 in 7 Indian Languages
संगणकावर देवनागरी वर्णमालेच्या आधाराने मराठी -- सा विवेक 01-Dec-2014
इनस्क्रिप्टसाठी प्रयत्न २०१७ -- फर्गसन कॉलेज व परमहंसनगर
चेत जाइये वरना युनीकोड बनेगा हमारी एकात्मिक सांस्कृतिक धरोहर को खतरा
हिंदी राग अलगावका या एकात्मताका गर्भनाल, सितम्बर-2017
हिंदी बरकरार रखने के लिये
इनस्क्रिप्ट मराठी प्रेझेंटेशन -- (सुजय) चित्रप्रत
इनस्क्रिप्ट की बोर्डाचा वापर अनिवार्य करण्याबाबत
District-wise Hindu Population in Pakistan 1998
इनस्क्रिप्ट बाबत सह्याद्री चॅनेलवरील मुलाखतीवर प्रतिक्रिया
inscript.ppt for Sahitya-academy
उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा नहीं है
Devnagari -- the Script of World
राघवयादवीयम् संपूर्ण
अथ श्री गूगलसूक्तम् -- श्री वार्णेकरहिंदी शब्दभंडार कैसे बढे
एक देश - अनेक भाषाएँ - एकात्म भाषाएँ - सा. पाञ्चजन्य
हमारा उपेक्षित राष्ट्रिय सौर कैलेंडर- भाग १ - सा. पाञ्चजन्य
भारतीय वर्णमाला, भाषा, राष्ट्र आणि संगणक - जडणघडण मा. ---- अंक
नई शिक्षा - नीति सुझाव -डॉ. गुप्ता
11वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन मॉरीशस-- एक रपट ( शायद यही संक्षिप्तकर गर्भनाल सि. अंकमें है)
श्रीगुरु गोरक्षनाथप्रणित ‘नाथपंथाचे’ तत्त्वज्ञान : "Shreepad Deshpande" shreeshruti62@gmail.com
ईमेलवरील मराठी अंक
गीतार्थबोधिनी -- तुकाराम महाराजांची मंत्रगीता
संस्कृतं च संगीतं च -- हैदराबाद सेमिनार २०१७ -- त्यांनी छापलेली चित्रप्रत पुसटसमृद्धि व संगणक का भाषाई समीकरण-- गर्भनाल गर्भनाल, नवम्बर-2017
विषय इनस्क्रिप्ट - कोल्हापूर आकाशवाणीसाठी सुजय लेलेचा इंटरव्ह्यूभगवद्गीता गायनम् अध्याय ११ LM GEETA 11
भगवद्गीता गायनम् अध्याय १२ LM GEETA 12
वर्णमाला, भाषा, राष्ट्र और संगणक -- गर्भनाल -- दि ०१-१०-२०१७
हिंदी-राग – अलगावका या एकात्मताका गर्भनाल सप्टेंबर २०१७
दोन हुकलेल्या पद्मश्री सन्मानांची कथा
2006 -- Releasing OpenOffice.org 2.0 in 7 Indian Languages
संगणकावर देवनागरी वर्णमालेच्या आधाराने मराठी -- सा विवेक 01-Dec-2014
इनस्क्रिप्टसाठी प्रयत्न २०१७ -- फर्गसन कॉलेज व परमहंसनगर
चेत जाइये वरना युनीकोड बनेगा हमारी एकात्मिक सांस्कृतिक धरोहर को खतरा
Language disconnects need bridging: -- jitendra <jituviju@gmail.com>
भारत भाषा-प्रहरी : डॉ. परमानंद पांचालहिंदी राग अलगावका या एकात्मताका गर्भनाल, सितम्बर-2017
हिंदी बरकरार रखने के लिये
इनस्क्रिप्ट की बोर्डाचा वापर अनिवार्य करण्याबाबत
हरिराम द्वारा उठाये ये तकनीकी, तथ्यपरक व चुनौतीपूर्ण प्रश्न 9वें विश्व हिन्दी सम्मेलन
लोक रोमनमधून मराठी का लिहितात पण ती देवनागरी वर्णमालेच्या आधारानेच का लिहावीश्रुतलेखन राजभाषा सॉफ़्टवेयर समीक्षा --रवि रतलामी द्वारा -- संघर्षके बाद सफलता
separate slot to Assamese in Unicode Consortium
A nice post by Chetan Gugale
विज्ञान शिक्षणाला लागलेले ग्रहण १७६ वर्षांनी सुटले -- मराठेकाकाinscript.ppt for Sahitya-academy
इनस्क्रिप्ट प्रशिक्षण मॉडेल चरवेली, जिला रत्नागिरी
भाषा है क्या क्या -- लिखना बाकी -- पठामि संस्कृतं के भाग ११ से लिया जाये।
kaushalam trust efforts so far - चित्राकृति
इनस्क्रिप्ट कीबोर्ड ऊडिया, कन्नड, गुजराती लिपियोंमें
इनस्क्रिप्ट के माध्यमसे वंचित विकास + साहित्य अकादमी प्रेझेंटेशन
Chat with Snehal Mahamuni
वापरा १
वापरा २
महाराष्ट्रातील संगणक संस्कृती आज आणि उद्या -मरासासं मंडळाच्या प्रकाशनात सामाविष्ट
मराठीची गळचेपी, बालसाहित्याला प्रोत्साहन द्या
मराठीची गळचेपी, बालसाहित्याला प्रोत्साहन द्या
टपाल व्यवस्थापन -संगणकाची जादुई दुनिया - यात समाविष्ट
संगणक मराठीतून वापर बैठकीचे कार्यवृत दिनांक - 19 मार्च 2009 शासनाकडून मिळवणे
मराठी साठी जिल्हाधिकारी कांय करू शकतात.
मराठी अभ्यास केंद्र प्रस्ताव - संगणकावरील शासकीय व्यवहाराचे प्रमाणीकरण
संगणक व इंटरनेटचा मराठीतून वापर - भाषा व संगणक - तज्ञ दि. 30 जानेवारी 2009 बैठक कार्यवृत्त
संगणकावर मराठी -- शासकीय प्रयत्नांतून दि. 30 जाने. 2009 रोजी बैठक व स्वयंस्फूर्तीने सहभाग
राष्ट्रभाषा बचाने का एकसूत्री कार्यक्रम -- है कोई वकील लोकतंत्रका --पुस्तकमें
हिन्दी भाषा और मैं
हिन्दी में शपथ -- जनसत्ता दि.
संगणक व इंटरनेटचा मराठीतून वापर - भाषा व संगणक - तज्ञ दि. 30 जानेवारी 2009 बैठक कार्यवृत्त
संगणकावर मराठी -- शासकीय प्रयत्नांतून दि. 30 जाने. 2009 रोजी बैठक व स्वयंस्फूर्तीने सहभाग
राष्ट्रभाषा बचाने का एकसूत्री कार्यक्रम -- है कोई वकील लोकतंत्रका --पुस्तकमें
हिन्दी भाषा और मैं
पचास साल बाद हिंदी -- जनसत्ता दि.
हिंदीला धोपटणे थांबवा -- अंतर्नाद
माय मराठीत विज्ञान आणि कायदा -- दै. सकाळ २.६.९६
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